बात 2001 की है. केंद्र में एनडीए की सरकार थी. तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पूर्व सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव की इंडियन फेडरल डेमोक्रेटिक पार्टी के तीन सांसदों को एनडीए का हिस्सा बनने के लिए पैसा दिया था. ये दावा किया है खुद पप्पू यादव ने.
पप्पू यादव की मानें तो जुलाई 2008 में विश्वास मत के दौरान भी कांग्रेस और बीजेपी ने सांसदों के समर्थन के लिए 40 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी. पप्पू यादव ने ये खुलासे अपनी किताब 'द्रोहकाल का पथिक' में की है. इस किताब के विमोचन के लिए बुधवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे.
पप्पू यादव ने की अपनी किताब में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. बकौल पप्पू यादव, 'सांसदों की कीमत को लेकर सौदेबाजी हुई थी. अनवरुल हक को एक एसेंट कार मिली, साथ में 1 करोड़ रुपये. नागमणि को तत्काल 1 करोड़ रुपये दिए गए थे और बाद में राज्यमंत्री का पद देने का भरोसा दिलाया गया था. ये सौदेबाजी यशवंत सिन्हा ने खुद की थी. पी सी थॉमस को राज्यमंत्री का दर्जा मिला. अनवरुल हक और सुखदेव पासवान ने पैसा लिया. हालांकि नागमणि को राज्यमंत्री का पद नहीं मिला इसके एवज में उसे भी पैसे दिए गए. बाकियों ने कोई पैसा नहीं लिया. मेरा यशवंत सिन्हा के साथ पुराना पारिवारिक रिश्ता था.'
यशवंत सिन्हा ने पप्पू यादव के इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर टिप्पणी की जरूरत नहीं.
पप्पू यादव ने यह भी दावा किया है, '2008 के विश्वास मत से पहले यूपीए और एनडीए ने उनसे संपर्क साधा था. दोनों पार्टियां (कांग्रेस और बीजेपी) ने सांसदों को 40-40 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी. इस बाबत मेरी पत्नी रंजीत रंजन ने इन पार्टियों के बिहार प्रमुख से 5-6 बार मुलाकात भी की थी. उस वक्त हमें पैसे की जरूरत थी पर हमने पैसा नहीं लिया.'