वह तब नाबालिग थी. उसे सही-गलत का फर्क सिखाना उसके माता-पिता का धर्म था. लेकिन सबसे पहले उसके पिता ने ही उसके साथ रेप किया. मां-बाप दलाल बन गए और उसे जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया गया. इसके बाद कथित तौर पर 100 लोगों ने गिद्ध की तरह उस मासूम जिस्म को नोंचा, खरोंचा और अपनी हवस का शिकार बनाया. अब 4 साल बाद अदालत ने उसके साथ न्याय किया है और उसके पिता को 14 साल कैद की सजा सुनाई है.
दुनिया का कोई भी कानून उसकी सिसकियां नहीं लौटा सकता. यकीनन हर बार वह चीखी होगी, लेकिन उसकी चीख मां के आंचल तक नहीं पहुंची. उसे दर्द हुआ होगा, लेकिन पिता ने उसके लिए डॉक्टर बुलाने की जहमत नहीं उठाई. पैसा, हैवानियत और भूख के इस खेल में रिश्ते तार-तार हो गए. इंसानियत दगा दे गई और जो बचा वह सिर्फ हवस का पर्याय था. साल 2010 के सनसनीखेज परावुर सेक्स कांड में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीजी अजित की अदालत ने लड़की के पिता के अलावा उसकी मां और तीन अन्य को 7 साल कैद की सजा सुनाई है.
एर्णाकुलम में 2011 में सामने आए इस मामले ने सब को हिलाकर रख दिया था. मामले में 148 के लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें से 100 को पुलिस ने गिरफ्तार किया. पिता के रिश्ते को दागदार करने वाला सुधीर फिल्मों में छोटे-मोटे रोल कर चुका है. सुधीर को इससे पहले भी सेक्स कांड से जुड़े एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है. तीन अन्य आरोपी मनोज, विजय कुमार और बीजू नारायणन हैं. ये सभी फिल्म जगत से जुड़े हुए हैं.
इस सेक्स कांड में लड़की से रेप और गैंगरेप से जुड़े 50 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. हालांकि मामले में जिस्मफरोशी गिरोह की कथित एजेंट ओमाना को सबूतों के अभाव में दो मामलों में बरी कर दिया गया है. 2010 में लड़की नाबालिग थी. बताया जाता है कि लड़की का पिता खुद उसे अलग-अलग जगहों पर लोगों के पास ले जाता था और उसके मासूम जिस्म को बेचकर पैसे कमाता था. लड़की के साथ फिल्मों में काम दिलवाने के नाम भी रेप किया गया. अदालत ने इस फैसले के साथ ही इससे जुड़े सात मामलों में अपना फैसला सुना दिया है.