परमाणु संयंत्र में दुर्घटना होने की अवस्था में पीड़ितों को त्वरित मुआवजा दिलाने तथा परिचालक एवं आपूर्तिकर्ता का दायित्व तय करने वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को सोमवार को संसद की मंजूरी मिल गयी.
राज्यसभा में परमाणुवीय नुकसान के लिए सिविल दायित्व विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी गयी. विधेयक पर माकपा, भाकपा एवं तेदेपा द्वारा लाए गए संशोधनों को सदन से नामंजूर कर दिया. माकपा सदस्य सीताराम येचुरी के संशोधन को सदन ने 23 के मुकाबले 143 मतों से नामंजूर कर दिया.
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है. विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी जैसी स्थिति से दोबारा नहीं गुजरना पड़े इसको ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती थी कि परमाणु दुर्घटना होने की स्थिति में पीड़ितों को दर दर भटकना पड़े और लंबे समय तक मामले अदालतों में रहे. {mospagebreak}
चव्हाण ने कहा कि हमने विधेयक तैयार करने में सभी विपक्षी दलों विशेषज्ञों एवं सभी पक्षों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया है और इस दिशा में मूल विधेयक में 18 संशोधन किए गए हैं. उन्होंने कहा कि 2005 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान करार की रूपरेखा बनी लेकिन इस दिशा में परमाणु दायित्व कानून न होने से बाधा आ रही थी क्योंकि परमाणु ऊर्जा उत्पादन करने वाले 30 देशों में से 28 में ऐसा कानून है. सिर्फ भारत और पाकिस्तान में ऐसा कोई कानून नहीं है.
चव्हाण ने परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा का आश्वासन देते हुए कहा कि परमाणु नियमन बोर्ड तथा नियामक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए उपयुक्त कम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने परमाणु सुरक्षा कोष बनाया है. नए रिएक्टरों के शुरू होने तक इस संयंत्र में पर्याप्त धन हो जाएगा.
गौरतलब है कि विधेयक पर हुयी चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार सदन में मौजूद रहे. हालांकि उन्होंने लोकसभा की तरह उच्च सदन में हुयी चर्चा के दौरान कोई हस्तक्षेप नहीं किया. चव्हाण ने लोकसभा में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के दौरान दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर व्यापक सहमति बनाना चाहते हैं. साथ ही प्रधानमंत्री ने नियमन तंत्र को मजबूत बनाने का भी आश्वासन दिया है. {mospagebreak}
चव्हाण ने कहा ‘इस विधेयक में आपूर्तिकर्ताओं उपभोक्ताओं सरकार डिजाइनर आदि सभी पक्षों की जवाबदेही तय की गई है. परमाणु दुर्घटना की स्थिति में अधिकतम मुआवजे की राशि को पूर्व के 500 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 1500 करोड़ रूपये कर दिया गया है जो ऐसे मामलों में अमेरिका में दी जा रही मुआवजा राशि के समान है.
चव्हाण ने कहा कि पोखरण में पहले परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों की ओर से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर लगायी गई पाबंदी को समाप्त करने का हमारा प्रयास इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाया गया प्रतिबंध हमारे लिए परोक्ष रूप से वरदान साबित हुआ और देश के वैज्ञानिकों ने संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की.
चव्हाण ने कहा कि हमारे देश में तेजी से विकास के साथ बिजली की जरूरतें बढ़ रही हैं लेकिन आज काफी संख्या में घरों में बिजली नहीं है. उन्होंने कहा कि बिजली के लिए ताप जल तथा वायु एवं सौर जैसे अक्षय ऊर्जा के विकल्प हैं लेकिन सौर ऊर्जा काफी महंगी है जबकि पनबिजली के लिए पर्यावरणीय कीमत चुकानी पड़ती है. उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते ही सरकार ने लोहारी नागपाला पनबिजली परियोजना को बंद करने का निर्णय किया जबकि इस पर 600 करोड़ रुपये का खर्च हो चुका था. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा अनूठा विकल्प है. उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में 4500 मेगावाट परमाणु बिजली का उत्पादन हो रहा है. उन्होंने कहा कि आज भारत के परमाणु संयंत्रों में अपनी क्षमता का महज 50 प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा है क्योंकि हमारे पास उपयुक्त मात्रा में यूरेनियम नहीं है.
परमाणु ऊर्जा को देश के लिए अनूठा विकल्प बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका परमाणु समझौते के माध्यम से शुरू हुई प्रक्रिया की बदौलत हमारे परमाणु संयंत्रों को यूरेनियम मिल पायेगा. परमाणु संयंत्र में हादसा होने की स्थिति में दायित्व तय करने के मामले में चव्हाण ने स्वीकार किया कि पूर्ववर्ती राजग सरकार ने कुछ शुरूआती काम किया था और उसका लाभ मौजूदा सरकार को मिला. चव्हाण ने कहा कि इस विधेयक को संसद में चर्चा के लिए रखने से पहले सरकार ने इसके बारे में मुख्य विपक्षी दल भाजपा और वाम सहित सभी दलों के प्रमुख सुझावों को स्वीकार कर लिया है.
चव्हाण ने कहा हमने विधेयक तैयार करने में सभी विपक्षी दलों, विशेषज्ञों एवं सभी पक्षों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया है और इस दिशा में मूल विधेयक में 18 संशोधनों के बाद इसे पेश किया गया है जिसमें भाजपा, वाम दलों और सपा जैसे दलों के सुझावों को शामिल किया गया है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा वाम दलों को अभी भी कुछ चिंताएं हैं लेकिन मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि यह किसी भी देश की मदद के लिए नहीं है. हम बड़े देश हैं और हमें अपनी जरूरतों को समझना होगा. यह जरूरत बिजली की समस्या को दूर करने की है. मंत्री ने कहा कि विधेयक के संशोधित स्वरूप के माध्यम से किसी भी दुर्घटना की स्थिति में तीसरे पक्ष (पीड़ित) को पर्याप्त मुआवजे का प्रावधान है जिसमें अभाव में भोपाल गैस त्रासदी के मामले में सरकार को कदम उठाना पड़ा और पीड़ितों को परेशानी हुई.
चव्हाण ने कहा कि पोखरण में पहले परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों की ओर से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर लगायी गई पाबंदी को समाप्त करने का हमारा प्रयास इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए है. उन्होंने आश्वासन दिया कि विभिन्न दलों ने जो सुझाव दिये हैं उन्हें नियम बनाते समय ध्यान में रखा जायेगा.