बैंकिंग घोटाले पर बहस को लेकर लोकसभा लगातार तीसरे दिन भी नहीं चल सकी. बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही स्थगित करनी पड़ी क्योंकि प्रश्नकाल शुरू होते ही लोकसभा में जोरदार हंगामा शुरू हो गया. खास बात यह थी कि हंगामे में विपक्ष के अलावा सत्ता पक्ष के सहयोगी दल जिनमें तेलुगू देशम पार्टी (TDP) और शिवसेना भी शामिल थी.
टीडीपी लगातार आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल पैकेज देने की मांग कर रही है तो शिवसेना की मांग है कि मराठी भाषा को केंद्रीय सूची में डालकर राज्य भाषा का दर्जा दिया जाए. कांग्रेस पार्टी के सांसद लगातार नीरव मोदी के देश छोड़कर भाग जाने को लेकर और बैंकिंग घोटाले को लेकर स्थगन प्रस्ताव की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है.
बीजेपी का कहना है कि विपक्ष बैंकिंग घोटाले पर बहस से भाग रहा है क्योंकि उसे डर है कि अगर बहस हुई तो यूपीए के जमाने के बैंकिंग घोटालों पर से भी पर्दा हट जाएगा.
I have spoken to all the members & asked them to co-operate. Showing of placards, coming inside the Well of the House is unacceptable & it gives a bad picture to the outside world. Now, I hope something good comes out of this conversation: LS Speaker Sumitra Mahajan. pic.twitter.com/Gu7RzkEThy
— ANI (@ANI) March 7, 2018
लोकसभा की कार्यवाही पहले 12:00 बजे तक के लिए स्थगित हुई और उसके बाद फिर हंगामा जारी रहने की वजह से दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी. लगातार तीन दिनों से कामकाज ठप होने की वजह से स्पीकर सुमित्रा महाजन ने समाधान निकालने के लिए सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी लेकिर यह भी बेनतीजा रही. खास बात यह है कि बीजेपी और विपक्ष दोनों बैंकिंग घोटाले पर बहस चाहते हैं लेकिन झगड़ा इस बात पर है कि बहस किस नियम के तहत हो.
कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां नियम 52 के तहत बहस चाहती हैं जिसमें वोटिंग का भी प्रावधान है. कांग्रेस का यह भी आरोप है कि सरकार ने बहस के विषय को जानबूझकर बदला है ताकि इसमें पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले से ध्यान हट कर पुराने मामलों पर ज्यादा बहस हो.
लेकिन बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस की तरफ से नोटिस 193 नियम के तहत दी गई है जिसके तहत सिर्फ बहस हो सकती है है लेकिन वोटिंग नहीं हो सकती.
लोकसभा में हंगामे के दौरान ही त्रिपुरा में मूर्तियां तोड़ने का मुद्दा भी उठा और वामपंथी दलों ने आरोप लगाया कि BJP के कार्यकर्ता त्रिपुरा में जीत के बाद हिंसा में लगे हैं और वामपंथी महापुरुषों की मूर्तियों को तोड़ रहे हैं. बजट सत्र में सरकार के पास पारित कराने को तमाम बिल पड़े हैं और वित्त विधेयक भी पास होना है. लेकिन 3 दिन गुजरने के बाद भी संसद में अभी तक कोई भी कामकाज नहीं हो सका है.