scorecardresearch
 

हंगामे की वजह से 14 दिन पहले ही बजट सत्र को खत्म कर सकती है सरकार

इस सत्र में केंद्र सरकार के खिलाफ 3-3 बार अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की जा चुकी है लेकिन हंगामे की वजह से लोकसभा में यह प्रस्ताव नहीं रखे जा सके. प्रतिदिन का औसत निकाला जाएगा तो किसी भी दिन सदन की कार्यवाही घंटे भर से ज्यादा नहीं चल पाई है.

Advertisement
X
लोकसभा में हंगामा
लोकसभा में हंगामा

Advertisement

बजट सत्र के दूसरे हिस्से की शुरुआत से संसद के दोनों सदनों में लगातार हंगामा जारी है. इस सत्र की शुरुआत 5 मार्च को हुई थी और तब से लेकर आज 12 दिन हो गए लेकिन सदन की कार्यवाही एक भी दिन सुचारू रूप से नहीं चल सकी है.

सरकार के सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक इसी शुक्रवार को संसद की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जा सकती है. मतलब कि बजट सत्र के दूसरे हिस्से को समाप्त किया जा सकता है, जबकि बजट सत्र 6 अप्रैल तक के लिए प्रस्तावित है. दोनों सदनों में गतिरोध को देखते हुए सरकार यह फैसला ले सकती है.

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

इस सत्र में केंद्र सरकार के खिलाफ 3-3 बार अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की जा चुकी है लेकिन हंगामे की वजह से लोकसभा में यह प्रस्ताव नहीं रखे जा सके. प्रतिदिन का औसत निकाला जाएगा तो किसी भी दिन सदन की कार्यवाही घंटे भर से ज्यादा नहीं चल पाई है. इसमें सिर्फ एक दिन 8 मार्च को अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्यसभा में सदस्यों ने 3-4 घंटे तक सदन में अपनी बात रखी थी.

Advertisement

हंगामे के बीच भी सरकार ने बिना चर्चा के वित्त और विनियोग विधेयक 2018 लोकसभा से पारित करा लिया है. दोनों सदनों में आसन की ओर से कई बार सदन को चलने देने की अपील की जा चुकी है लेकिन गतिरोध फिर भी बना हुआ है.

इन मुद्दों को लेकर हंगामा

संसद में पीएनबी घोटाला, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा, कावेरी जल विवाद तीन मुख्य मुद्दे हैं जिनकी वजह से पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. कांग्रेस, टीएमसी जैसे दल पीएनबी घोटाले और नीरव मोदी के मुद्दे पर हंगामा कर रहे हैं. वहीं आंध्र प्रदेश से आने वाले टीडीपी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस के सांसद अपने राज्य के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अड़े हैं. कावेरी मुद्दे को लेकर एआईएडीएमके के सांसद लगातार सदन में हंगामा कर रहे हैं.

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विभिन्न दलों के सांसद वेल में आकर नारेबाजी करने लगते हैं. सदन में पोस्टर और प्लेकार्ड भी दिखाए जाते है इसे लेकर कई बार सांसदों को चेतावनी भी दी गई है लेकिन हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसके अलावा भाषा, आधार जैसे अन्य मुद्दों पर भी सदन के भीतर और बाहर गतिरोध देखने को मिला है.

Advertisement

बीते सत्र में सौ फीसद काम

साल 2017 के बजट सत्र की बात की जाए तो उस दौरान राज्यसभा में 93 फीसद और लोकसभा में करीब 113 फीसद काम हुआ था. यह काम चर्चा के घंटों और सत्र को दौरान पारित हुए बिल और प्रस्तावों से तय होता है. लेकिन इस बार जब बजट ही बिना चर्चा के पारित किया गया हो तो सदन में हो रहे हंगामे का अंदाजा लगाया ही जा सकता है.

Advertisement
Advertisement