बजट सत्र का दूसरा हिस्सा लगातार हंगामें की भेंट चढ़ रहा है. बीते 15 दिन में राज्यसभा की कार्यवाही सिर्फ 310 मिनट तक ही चल सकी है, जबकि इसे औसतन 15 दिनों में 5400 मिनट तक चलना चाहिए. इतने ही दिनों में सदन की कार्यवाही 27 बार स्थगित की जा चुकी है.
सभापति वेंकैया नायडू की तमाम चेतावनी और अपील अबतक बेकार गई है और सदन में सांसदों का हंगामा लगातार जारी है. शुक्रवार को सभापति ने कहा कि राज्य सभा उच्च सदन है, लेकिन यहां सदस्यों का व्यवहार अफसोसजनक है. उन्होंने कहा कि लोग हमसे सवाल पूछ रहे हैं कि क्यों न पूरे बजट सत्र को स्थगित कर दिया जाए, लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं है.
उच्च सदन की कार्यवाही पिछले 15 दिनों में सिर्फ 5 घंटे 10 मिनट तक ही चल पाई है, जबकि आमतौर पर सदन एक ही दिन में ही औसतन 5-6 घंटे तक चलता है. बजट सत्र के दूसरे हिस्से में सदन से सिर्फ ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक 2017 ही पारित हो पाया है.
सदन के एजेंडे में भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 2013, मोटर यान विधेयक और स्टेट बैंक (निरसन और संशोधन) जैसे अहम विधेयक शामिल हैं. राज्यसभा में पेय जल मंत्रालय, गृह मंत्रालय, खाद्य मंत्रालय जैसे अहम विभागों के काम काज पर चर्चा होनी है.
सदन में सिर्फ 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर लगातार एक घंटे तक चर्चा हो पाई थी. इस दौरान सदन की महिला सांसदों समेत कई सदस्यों ने महिला दिवस के उपलक्ष्य में अपने विचार सदन में रखे थे. उस दिन 2 बजे के बाद हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही को एक मिनट के भीतर ही स्थगित करना पड़ा था.
7 बार 2 मिनट में कार्यवाही स्थगित
राज्यसभा को अब तक 27 बार स्थगित किया जा चुका है. इनमें से 7 बार तो सदन सिर्फ 2 मिनट की कार्यवाही के बाद स्थगित हुआ जबकि 4 बार सदन की कार्यवाही को एक मिनट के बाद ही स्थगित करना पड़ा. 15 दिनों में 4 दिन राज्यसभा की कार्यवाही 10 मिनट से भी कम वक्त के लिए चली है.
साल 2017 के बजट सत्र में राज्यसभा ने काम-काज के मामले में रिकॉर्ड कायम किया था. इस दौरान बजट सत्र के पहले और दूसरे हिस्से को मिलाकर कुल 29 बैंठकें हुई थीं. राज्यसभा में तय वक्त से 7 घंटे ज्यादा काम हुआ था और 92 फीसदी से ज्यादा काम-काज हुआ था. बीते सत्र में वित्त विधेयक के अलावा सदन से जीएसटी जैसा अहम विधेयक भी पारित किया गया था.