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संसद में हुआ बंपर कामकाज, 3 तलाक पर सबसे ज्यादा बहस, टॉप-2 में नहीं अनुच्छेद 370

संसद में अनुच्छेद 370 को खत्म करने वाला सबसे विवादास्पद जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल महज 7 घंटे की बहस में ही पास हो गया. हैरानी की बात तो यह है कि राज्यसभा में ये टॉप टेन की लिस्ट में भी शामिल नहीं हो पाया, जबकि अनुच्छेद 370 को हटाने वाला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पहले राज्यसभा में ही पेश किया गया था.

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इस बार संसद में सबसे ज्यादा बहस तीन तलाक पर हुई (फोटो-IANS)
इस बार संसद में सबसे ज्यादा बहस तीन तलाक पर हुई (फोटो-IANS)

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हाल में खत्म हुए संसद के पहले सत्र में मुस्लिम महिला बिल 2017 (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज) पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई. इस बिल पर संसद के दोनों सदनों में करीब 12 घंटे तक बहस चली. इंडिया टुडे डाटा एनालिसिस टीम ने संसद में पेश किए गए 39 बिलों का विश्लेषण किया और पाया कि दूसरा नंबर इंडियन मेडिकल काउंसिल को खत्म कर बनने वाले नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल का था.

अनुच्छेद 370 को खत्म करने वाला सबसे विवादास्पद जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल महज 7 घंटे की बहस में ही पास हो गया. हैरानी की बात तो यह है कि राज्यसभा में ये टॉप टेन की लिस्ट में भी शामिल नहीं हो पाया, हम आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 को हटाने वाला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पहले राज्यसभा में ही पेश किया गया था.

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संसद में किसी भी बिल पर सदस्यों के बहस का आंकड़ा देखें तो तीन तलाक को सबसे ज्यादा वक्त दिया गया. इस बिल को पास करने के लिए दोनों सदनों से 11 घंटे 43 मिनट का वक्त लगा. वहीं नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल को 10 घंटे 54 मिनट दिए गए. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि अनुच्छेद 370 को हटाने वाले बिल से ज्यादा जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल पर चर्चा हुई. जम्मू- कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा में 4 घंटे 11 मिनट की बहस के बाद पास हो गया वहीं राज्यसभा में इस बिल पर 3 घंटे 28 मिनट बहस हुई. बाकी विवादास्पद बिलों में UAPA बिल पर 8 घंटे 57 मिनट चर्चा हुई जबकि सूचना का अधिकार (संशोधन) बिल को पास करने में 8 घंटे 6 मिनट लगे.

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(पिछले दिनों खत्म हुए संसद सत्र में तीन तलाक पर सबसे ज्यादा बहस हुई)

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कहना है 'सरकार ने इस बिल पर बहस करने के लिए विपक्ष को बहुत कम वक्त दिया. इससे हम ठीक से तैयारी नहीं कर पाए, किसी भी सांसद के लिए ये सही स्थिति नहीं है.'

उन्होंने आरोप लगाया, 'कांग्रेस को विपक्ष की अगुवाई करनी चाहिए थी लेकिन वो खुद ही कंफ्यूज दिखी. कई बार लगा कि वो नेतृत्वविहीन हैं. बिल का विरोध करने के बावजूद उन्होंने मोदी सरकार को बिल को आसानी से पास करने दिया.' 

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(विवादास्पद आरटीआई बिल भी लोकसभा के टॉप टेन बहसों में जगह नहीं बना पाई)

हालांकि सरकार ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन कहते हैं 'वो ये कह नहीं सकते कि बिल पेश करने से पहले हमने उन्हें कम वक्त दिया. बिल पेश करने से जुड़े सभी निर्देशों का पालन किया गया था. ये मोदी सरकार कि बड़ी कामयाबी है कि हमने इतने कम वक्त में रिकॉर्ड संख्या में बिल पास करवा लिए.'

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(जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल भी राज्यसभा की बहस में टॉप टेन में जगह नहीं बना पाया)

पीआरएस लेजिसलेटिव ने आंकड़े जारी किए हैं जिसके मुताबिक इस सत्र में 39 बिल पेश किए गए जिनमें 36 बिल लोकसभा में पास किए गए जबकि राज्यसभा से 29 बिलों को मंजूरी मिली. सत्र के दौरान लोकसभा 37 दिनों तक चली जबकि राज्यसभा में 35 दिनों तक कामकाज हुआ.  

आंकड़े बताते हैं लोकसभा में 281 घंटे काम हुआ जो तय सीमा का 135% है, पिछले 20 साल में संसद के किसी सत्र में इतना काम नहीं हुआ. पिछले 20 साल में औसतन एक सत्र  में 81% ही कामकाज हुआ. वहीं राज्यसभा में 195 घंटे कामकाज चला जो तय सीमा का 100% है. पिछले 20 साल में राज्य का औसत कामकाज 76% ही रहा है.

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