संसदीय समिति ने एक ऐसी समिति बनाने का सुझाव दिया है जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार के एनपीए की जांच और निगरानी रख सके. हालांकि समिति ने आरबीआई के इस दावे पर निराशा जताई है कि उसके पास सरकारी बैंकों के एनपीए चेक करने का अधिकार नहीं है.
संसदीय समिति ने भारतीय रिजर्व बैंक पर यह भी सवाल उठाया कि उसने अपने अधिकार कैसे इस्तेमाल किया. संसदीय समिति की रिपोर्ट का कहना है कि आरबीआई की शिकायत रही है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को रेगुलेट करने अधिकार उसके पास नहीं है, जबकि ऐसा लगता है कि इस केंद्रीय बैंक ने अपने अधिकार का प्रभावशाली तरीके से इस्तेमाल नहीं किया.
संसदीय समिति ने लोन आधारित बैंक से जुड़े बढ़े फ्रॉड पर निराशा जताई. आरबीआई की निगरानी के बावजूद 2017-18 में बैंकों में फ्रॉड में बढ़ोतरी देखी गई. रिपोर्ट का कहना है कि 2016-17 23,930 करोड़ की तुलना में 2017-18 में यह फ्रॉड 32,040 करोड़ तक बढ़ गया.