राजनेताओं की फोन टैपिंग पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान और आईपीएल विवाद की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग को लेकर अड़े सपा, राजद और समूचे विपक्ष ने सोमवार को संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी. भारी हंगामे के कारण दो बार के स्थगन के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी.
लोकसभा में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने फोन टैपिंग के आरोपों के बारे में प्रधानमंत्री के बयान की मांग की. सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे राजद और सपा के सदस्यों सहित समूचे विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया जिस पर संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि गृह मंत्री प्रश्नकाल के तुरंत बाद इस मामले पर बयान देंगे, इसलिए प्रश्नकाल चलने दें. इस बीच अध्यक्ष मीरा कुमार ने वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को अपनी बात रखने का मौका दिया. आडवाणी ने कहा कि यह बेहद गंभीर मसला है और सदन प्रधानमंत्री के सिवाय किसी और के जवाब से संतुष्ट नहीं होगा.
उन्होंने फोन टैपिंग मामले को एक प्रकार से आपातकाल की वापसी करार देते हुए कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का भी उल्लंघन है. उधर राज्यसभा में भी भाजपा, जद (यू), सपा और वाम दल चाहते थे कि प्रश्नकाल स्थगित कर फोन टैपिंग मुद्दे पर चर्चा हो और सरकार स्पष्टीकरण दे. भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नेताओं के फोन टैप करना लोकतंत्र का अपमान है.
लोकसभा में सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और राजद के शीर्ष नेताओं मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद ने इस मामले में अपने सदस्यों की अगुवाई करते हुए बार बार आसन के समक्ष आकर फोन टैपिंग और आईपीएल विवाद दोनों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की पुरजोर मांग की. उधर सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे एक अन्य दल बसपा ने दोनों ही प्रकरणों पर चुप्पी बनाये रखी. बसपा ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की अनुदान मांगों के खिलाफ लाये जाने वाले विपक्ष के कटौती प्रस्तावों का समर्थन नहीं करके सरकार का साथ देने का ऐलान किया है.
आडवाणी ने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम केवल आपातकाल, देश की संप्रभुत्ता और अखंडता की संरक्षा आदि के लिए ही कार्यकारिणी को फोन टैपिंग की अनुमति देता है. उन्होंने इस संबंध में नए सिरे से कानून बनाए जाने की मांग की. अन्य सदस्य भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखना चाहते थे लेकिन अध्यक्ष ने आग्रह किया कि प्रश्नकाल को चलनें दें और बाकी सदस्य शून्यकाल में इस विषय पर अपनी बात रखें. लेकिन जनता दल यू, शिवसेना, वाम, सपा तथा राजद सदस्य तुरंत अपनी बात रखने की मांग पर अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे.{mospagebreak}
हंगामा थमते न न देख अध्यक्ष ने बैठक करीब 15 मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. दोपहर 12 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सदन के कागजात सदन के पटल पर रखवाये. दूसरी ओर विपक्षी सदस्यों की आसन के सामने आकर नारेबाजी जारी रही. सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने आडवाणी की इस बारे में मांग का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री से संपर्क किया है और वह इस संबंध में सदन में दोपहर बाद साढ़े तीन बजे बयान देने को तैयार हैं.
‘प्रधानमंत्री चूंकि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के साथ अभी बातचीत में व्यस्त हैं. उनके साथ दोपहर भोज के बाद वह इस बारे में सदन में आकर बयान देने को राजी हैं.’ मुखर्जी ने कहा कि विपक्षी सदस्य अगर इस पर सहमत हैं तो ठीक है अन्यथा गृह मंत्री इस संबंध में बयान देने को तैयार हैं. सदस्यों द्वारा हंगामा जारी रखने पर मुखर्जी ने गृह मंत्री पी. चिदंबरम से बयान देने को कहा.
चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने किसी राजनीतिक नेता के फोन टैपिंग का अधिकार किसी को नहीं दिया और इस बारे में एक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच में, इस आरोप की पुष्टि नहीं हुई. उन्होंने कहा कि वह स्पष्ट रूप से यह कहना चाहते हैं कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा किसी भी राजनीतिक नेता के टेलिफोन को न तो टैप किया गया और न ही उनकी बातचीत सुनी गयी. वर्तमान संप्रग सरकार ने भी ऐसी किसी गतिविधि को अधिकृत नहीं किया.
उन्होंने कहा कि 23 अप्रैल 2010 को आउटलुक पत्रिका के उपलब्ध अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की व्यापक जांच की गयी. राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन एनटीआरओ के रिकार्ड में या कहीं और से इन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है. चिदम्बरम के बयान के दौरान सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और राजद के सदस्यों सहित संपूर्ण विपक्ष कथित फोन टैपिंग के खिलाफ नारेबाजी करता रहा और इस बारे में गृह मंत्री की जगह प्रधानमंत्री से बयान की मांग करता रहा.