वो कैमरा ही था जिसने भगवंत मान की कला को पहचाना और नाम दिलाया. मशहूर हुए राजनीति में आए और फिर संसद के माननीय सांसद बने और अब उसी कैमरे की चाहत ने मान से वो करवा दिया जो एक सांसद की गरिमा पर सवाल उठाने के लिए काफी था. शायद कॉमेडी की दुनिया से संसद तक के सफर में भगवंत मान अपने रोल को पहचान नहीं पाए और आज उस कटघरे में खड़े हो गए जहां उनके पक्ष में खड़ा होने वाला कोई नहीं.
संसद भवन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की वीडियोग्राफी करने और वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने को लोकसभा स्पीकर ने एक गंभीर मामला कहा और सभी दलों की सहमति के बाद 9 सदस्यीय जांच समिति बनाई जिसने मामले की जांच शुरू कर दी है. 3 अगस्त तक समिति को अपनी रिपोर्ट देनी है और तब तक भगवंत मान को संसद की कार्रवाई में शामिल ना होने की सलाह दी गई है.
कमिटी ने मान की वीडियो फुटेज देखी
जांच कमिटी ने अपनी पहली बैठक में मान की वीडियो फुटेज देखी. भगवंत मान ने समिति से अपनी सफाई देने के लिए 3 दिन का समय मांगा है अब वो 28 तारीख को पेश होंगे. मंगलवार को कमिटी संसद की सुरक्षा एजेंसियों और दिल्ली पुलिस से बात करेगी कि आखिर कैसे उन्हें भनक भी नहीं लगी और सुरक्षा में सेंध लग गई.
मान ने मांग ली माफी
अध्यक्ष ने इस मामले में आप सदस्य भगवंत मान को भी 26 जुलाई को सुबह साढ़े दस बजे तक जांच समिति के सामने अपना पक्ष रखने को कहा है. जांच समिति को राजनीतिक आरोपों से बचाने के लिए स्पीकर ने अकाली दल के किसी सांसद को समिति का हिस्सा नहीं बनाया है ताकि रिपोर्ट सवालों के घेरे में ना आए. भगवंत मान इस मामले में लोकसभा स्पीकर से पहले ही बिना शर्त माफी मांग चुके हैं. मान ने कहा कि उन्होंने 'अनजाने में' वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया था जिसे बाद में उन्होंने हटा भी दिया लेकिन स्पीकर और सांसदों ने इसे पर्याप्त नहीं माना.