राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के बयान को याद दिलाया. उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर 2003 में मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में बयान दिया था. मनमोहन सिंह ने कहा था कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार हो रहा है. जेपी नड्डा ने कहा कि हम मनमोहन सिंह की बात ही मान रहे हैं, जो आप (कांग्रेस) नहीं कर पाए. उनकी बातों का मानते हुए हम बिल लेकर आ रहे हैं. वे अपने कार्यकाल में पूरा नहीं कर पाए, अब हम कर रहे हैं.
JP Nadda,BJP: In 2003,Dr.Manmohan Singh in Rajya Sabha said to then Deputy PM Advani ji on treatment of refugees&persecution of minorities in countries like Bangladesh,he said we should have more liberal approach in granting citizenship to them. So,we are following what he said. pic.twitter.com/P4Sbm3Dt3I
— ANI (@ANI) December 11, 2019
जेपी नड्डा ने कहा कि 2003 में मनमोहन सिंह ने बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों के ट्रीटमेंट पर राज्यसभा में तब के डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से कहा था कि उन्हें नागरिकता देने में उदार होना चाहिए. बीजेपी सांसद ने कहा कि तो उन्होंने जो कहा था वो अब हम कर रहे हैं.
जेपी नड्डा ने कहा कि आजादी के बाद पाकिस्तान में लगातार अल्पसंख्यकों की संख्या घटी है जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा कि कई बार कुछ लोग समझना नहीं चाहते हैं, विपक्ष ऐसा ही कर रहा है. आर्टिकल 14 को बार-बार उठाया जा रहा है, जो कि गलत तर्क है. कांग्रेस पार्टी को राजनीति नहीं बल्कि देशहित के बारे में सोचना चाहिए. आज देश के कई हिस्सों में ऐसे शरणार्थी हैं, जो पढ़ाई कर चुके हैं लेकिन नागरिकता की वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है.
आनंद शर्मा पर पलटवार
जेपी नड्डा ने कहा कि आज इस बिल से लाखों लोगों को सम्मान मिलेगा. आनंद शर्मा का भाषण विद्वतापूर्ण था, जब वकीलों के पास तथ्य की कमी होती है तो उसका मूल से संबंध कम होता है. उनके भाषण में आवाज बहुत थी लेकिन तथ्य कम. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ प्रताड़ना हुई, धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ.
जेपी नड्डा बोले कि तब भारत में हिंदू बहुसंख्यक थे और पाकिस्तान में मुस्लिम, इस बात को मान लीजिए. भारत में मुसलमानों को बराबरी का अधिकार मिला है, लेकिन पाकिस्तान-अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ बराबरी नहीं हुई.