सरहद से लेकर देश के अंदर तक अर्द्धसैनिक बलों के जवान लगातार काम के दबाव में रहते हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें उनका पूरा हिस्सा भी नहीं मिलता. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों पर संसद में पेश गृह मंत्रालय की एस्टीमेट कमेटी की रिपोर्ट में अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की खराब स्थिति पर चिंता जाहिर की गई है.
बीजेपी सांसद मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली कमेटी का सुझाव है कि सीमा पर तैनात पैरा मिलिट्री फोर्सेज यानी अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों को भी सैन्य कर्मियों की तरह सुविधाएं दी जानी चाहिए.
पिछले साल बीएसएफ के जवान तेज बहादुर ने खराब खाने की पोल खोलने वाला एक वीडियो जारी किया था, जिसके बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया था. कमेटी ने सुझाव दिया कि सीमा पर तैनाती के दौरान अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों को भी सैन्य कर्मियों की तरह कपड़े, भोजन और अन्य सुविधाएं दी जाएं.
खाने की खराब क्वालिटी को लेकर चिंता
कमेटी ने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को मिलने वाले खाने को लेकर चिंता जताई है. हाल में सोशल मीडिया पर खासकर बीएसएफ में खाने की खराब क्वालिटी को लेकर कई तरह की बातें सामने आ चुकी हैं. कमेटी ने जवानों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर गृह मंत्रालय और अर्द्धसैनिक बलों के उच्चाधिकारियों से जानकारी भी मांगी, लेकिन उसे संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
जवानों को फिट रखने के लिए अच्छा खाना जरूरी
कमेटी ने यह भी कहा कि अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को स्वस्थ और फिट रखने के लिए अच्छी गुणवत्ता का खाना देना जरूरी है. इससे उनका मनोबल भी बढ़ता है. इसलिए कमेटी ने यह सुझाव दिया कि ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को आपूर्ति होने वाले खाने-पीने के सामान का स्रोत पर ही परीक्षण हो जाए और इनके न्यूट्रिशनल वैल्यू, हाइजीन (hygiene), उपभोग के लिए कितना सही है आदि की लेबलिंग कर यह बताया जाए कि सामान टेस्टेड और सर्टिफाइड है.
कमेटी ने सुझाव दिया कि अर्द्धसैनिक बल इसके लिए ऑर्डिनेंस कारखानों और डीआरडीओ की मदद ले सकते हैं. इसके अलावा पर्वतीय और दुर्गम इलाकों में पैक्ड फूड की आपूर्ति की जा सकती है.
भत्तों पर लगने वाले टैक्स पर उठाए सवाल
कमेटी ने इस बात पर भी गौर किया कि अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों को राशनिंग अलाउंस जैसे जो तमाम भत्ते दिए जाते हैं. उन पर टैक्स लगाया जाता है. कमेटी ने इसके खिलाफ राय जाहिर की है. कमेटी का कहना है कि अर्द्धसैनिक बलों को कामकाजी जरूरत के लिए मिलने वाले भत्तों पर टैक्स नहीं लगाना चाहिए.
वीवीआईपी सुरक्षा में तैनात अर्द्धसैनिक बलों के जवान
वीवीआईपी सुरक्षा में तैनात जवान जब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं, तो राज्य पुलिस की ओर से उन्हें सहयोग नहीं मिलता है. यहां तक कि राज्य पुलिस उनके रहने-खाने की व्यवस्था भी नहीं करती है. कमेटी ने सुझाव दिया है कि इस मामले में गृह मंत्रालय राज्यों की पुलिस को लिखित आदेश जारी करे.
अर्द्धसैनिक बलों के जवानों में तनाव पर सवाल
कमेटी ने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाओं पर भी गंभीर चिंता जताई. हैरान करने वाली बात यह है कि आईटीबीपी, एसएसबी और सीआरपीएफ में सरहद या देश के अंदर किसी ऑपरेशन में शहीद होने से ज्यादा संख्या आत्महत्या करने वाले जवानों की है. इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए कमेटी का सुझाव है कि जवानों को समय-समय पर परिवार से मिलने के लिए अवकाश और रहने के लिए आवास की सुविधा दी जानी चाहिए.
अर्द्धसैनिक बलों में प्रमोशन की संभावनाएं कम
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि अर्द्धसैनिक बलों में जवानों से लेकर अधिकारियों तक प्रमोशन की संभावनाएं बेहद कम हैं. सभी अर्द्धसैनिक बलों में प्रमोशन की नीति एक जैसी नहीं है. किसी बल में तेजी से प्रमोशन होता है, तो किसी में बहुत देर से. बीएसएफ में प्रमोशन को लेकर जवानों और अधिकारियों में काफी आक्रोश है. कमेटी का सुझाव है कि तय समय पर प्रमोशन होने से जवानों और अधिकारियों का मनोबल ऊंचा रहेगा.
अर्द्धसैनिक बलों में आधुनिकीकरण का अभाव
कमेटी का यह भी आकलन है कि अर्द्धसैनिक बलों के जवान लगातार काम के दबाव में रहते हैं. अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को आतंकवाद या नक्सलवाद के खिलाफ ऑपरेशन और सरहद पर निगरानी के अलावा कानून व्यवस्था संभालने के लिए भी तैनात किया जाता है. हालांकि इन जवानों को सरहद पर तैनाती के दौरान आधुनिक उपकरण और अच्छी विंटर ड्रेस की कमी से जूझना पड़ता है. कमेटी का सुझाव है कि अर्द्धसैनिक बलों के आधुनिकीकरण के लिए जल्द कदम उठाए जाने चाहिए.