पठानकोट एयरबेस पर सनसनीखेज हमले को 1 साल बीत गए हैं और गुनहगारों को अब भी अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका है. अब गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने भी हमले की जांच पर संजीदा सवाल उठाए हैं.
पूरी क्यों नहीं हुई जांच?
संसद में पेश रिपोर्ट में कमेटी ने इस बात पर नाखुशी जाहिर की है कि 1 साल से ज्यादा अरसा बीत जाने पर भी मामले की जांच अधूरी है. कमेटी का मानना है कि अगर जल्द ही जांच का काम पूरा नहीं होता तो हमले से पैदा हुए सवालों का जवाब देना मुमकिन नहीं होगा.
समिति के सवाल
कमेटी के सदस्यों ने गृह मंत्रालय से पूछा है कि हमले को लेकर खुफिया इनपुट होने के बावजूद इसे टालने के लिए कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया? कमेटी इस बात का भी जवाब चाहती है कि आतंकियों और उनके आकाओं के बीच बातचीत का पता चलने के बाद भी सुरक्षा एजेंसियों ने हमला रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए? समिति ने इस बात पर भी सफाई मांगी है कि क्या एयरबेस के भीतर घुसे आंतिकियों को ठिकाने लगाने के लिए स्पेशल फोर्सेज का इस्तेमाल किया गया था? इसके अलावा कमेटी ने सवाल उठाया है कि क्या हमले की जांच के लिए पाकिस्तानी कमेटी को भारत भेजने की मांग नई दिल्ली ने उठाई थी? और पाकिस्तानी सरकार का इस पर क्या रुख था.
हमले के बाद क्या बदला?
पिछल साल 2 जनवरी को तड़के सुबह 3:30 बजे पंजाब के पठानकोट में पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर भारी मात्रा में असलहा बारूद से लैस आतंकियों ने आक्रमण किया था. आतंकियों से मुठभेड़ में 7 जवान शहीद हो गए थे और 37 लोग घायल हो गए थे.
हालांकि हमले के बाद सेना के अहम ठिकानों की सुरक्षा को ज्यादा पुख्ता बनाने के लिए कई कदम उठाए गए.अब महीने में कम से कम एक बैठक खुफिया एजेंसियों, सेना, एयरफोर्स, पंजाब पुलिस और बीएसएफ अधिकारियों के बीच होती है. पंजाब पुलिस ने भी बॉर्डर समेत पूरे जिले में सीसीटीवी लगा दिए हैं. रात को एयरफोर्स की ओर से हैलीकॉप्टर से आसपास के क्षेत्र में निगरानी रखी जाती है. एयरबेस स्टेशन के साथ लगते गांवों में नए निर्माण पर रोक लगा दी गई है.
लेकिन हमले का मास्टरमाइंड और जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अब भी भारत के कानून की पहुंच से बाहर है. अजहर को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकियों की लिस्ट में शामिल करने की कोशिश भी नाकाम साबित हुई है.