राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के देश के नाम संबोधन पर सियासी घमासान मच गया है. बीजेपी ने जहां कहा है कि महामहिम ने ऐसा किसी कारणवश बोला है तो वहीं आप पार्टी ने कहा कि यह सलाह सभी सियासी दलों के लिए है. हालांकि कांग्रेस ने कहा कि बयान का सम्मान होना चाहिए.
फिल्मकार शेखर कपूर ने राष्ट्रपति के भाषण पर ट्विटर पर लिखा है कि आंदोलन और अराजकता एक चीज नहीं है. 1984 में अराजकता हुई थी, जब भीड़ ने सिखों का कत्लेआम किया था. 1984 में स्टेट और पुलिस ने भीड़ को उकसाया था. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शेखर कपूर के इस ट्वीट को आगे बढ़ाकर घमासना को और बढ़ा दिया है. आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि राष्ट्रपति का इशारा हमारी ओर नहीं है.
उधर, बीजेपी ने राष्ट्रपति के भाषण का स्वागत किया है. बीजेपी नेता बलवीर पुंज ने कहा है कि राष्ट्रपति देश के सबसे सम्मानित व्यक्ति है. बीजेपी नेता राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि अगर राष्ट्रपति अराजकता को लेकर कुछ कहते हैं, तो इसके पीछे जरूर कोई कारण होगा. रूडी ने कहा कि इस बार जनता स्थायी सरकार के लिए वोट देगी और हमारी पार्टी को ही बहुमत मिलेगा.
केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला का राष्ट्रपति के भाषण पर कहना है कि हमें उनके शब्दों का सम्मान करना चाहिए. वहीं एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि मेरी समझ से राष्ट्रपति ने केजरीवाल के बतौर मुख्यमंत्री कामकाज की आलोचना की है.
इस पर उठा तूफान
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या
पर देश के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा था कि सार्वजनिक जीवन में
पाखंड का बढ़ना खतरनाक है. लोकलुभावन अराजकता, शासन का विकल्प नहीं हो
सकती. उन्होंने कहा कि जो लोग मतदाताओं का भरोसा चाहते हैं, उन्हें वही
वादा करना चाहिए जो संभव है. झूठे वादों से लोगों का मोहभंग होता है और
उनका गुस्सा बढ़ता है.