पठानकोट एयरबेस पर ऐसे समय में आतंकी हुआ है, जब 25 दिसंबर को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काबुल से लौटते वक्त पाकिस्तान से रिश्तों में गर्माहट लाने के मकसद से लाहौर गए थे. यह बीते एक दशक में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला पाकिस्तान दौरा था. लेकिन इस हमले के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या मोदी ने शांति बहाली की जो प्रक्रिया दोबारा शुरू की, वह अटक जाएगी?
14-15 जनवरी को है विदेश सचिव स्तरीय वार्ता
मोदी के लाहौर दौरे के बाद तय हुआ कि 14-15 जनवरी को दोनों मुल्कों के बीच विदेश सचिव स्तरीय वार्ता होगी. सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक अब दोनों मुल्कों के सामने सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती यही है कि शांति बहाली के जो प्रयास शुरू हुए हैं, उन पर ऐसी आतंकी घटनाओं का असर न पड़ने पाए और रिश्तों में बनी नई गर्माहट जारी रहे.
Larger political challenge is that we have to see how #Pathankot attack will impact pol diplomatic relationship btwn Pak-India: Uday Bhaskar
— ANI (@ANI_news) January 2, 2016
फिलहाल विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि यह वार्ता अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक होगी या नहीं. गौरतलब है कि शनिवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे 10 से 15 आतंकियों ने पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन में घुसकर हमला कर दिया था. ये वही आतंकी थे, जिन्होंने 31 दिसंबर को गुरदासपुर एसपी को अगवा किया था. हमले में दो जवान शहीद हो गए.
राजनीति भी बढ़ेगी
विपक्ष ने मोदी के दौरे को लेकर पहले ही सवाल उठाए थे और कहा था कि यह राष्ट्रहित में नहीं है. अब कांग्रेस इसे दोबारा मुद्दा बनाएगी और पीएम मोदी को घेरने की कोशिश करेगी. इससे घरेलू राजनीति का बढ़ना तय है. इससे पहले बैंकॉक में दोनों मुल्कों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैंकॉक में हुई बैठक पर भी सवाल उठाए गए थे. पूछा गया था कि क्या बदला है जो पाकिस्तान से दोबारा बातचीत शुरू की गई.