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पादीदारों को पटाने में बुरी फंसी कांग्रेस, सेक्स CD से पटेलों को हार्दिक पर अविश्वास!

पाटीदारों का साथ पाने की कोशिश में कांग्रेस बुरी तरह फंस गई है. 16 फीसद वोट बैंक के लिए उसने हार्दिक पटेल को अपने साथ जोड़ा था. लेकिन सीडी कांड के बाद पाटीदारों में हार्दिक की पकड़ लगातार छूटती जा रही है.

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हार्दिक के लोगों का कांग्रेस दफ्तरों पर तांडव
हार्दिक के लोगों का कांग्रेस दफ्तरों पर तांडव

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पाटीदारों का साथ पाने की कोशिश में कांग्रेस बुरी तरह फंस गई है. 16 फीसद वोट बैंक के लिए उसने हार्दिक पटेल को अपने साथ जोड़ा था. लेकिन सीडी कांड के बाद पाटीदारों में हार्दिक की पकड़ लगातार छूटती जा रही है. इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस की पहली सूची जारी होते ही पाटीदार आरक्षण समिति ने आसमान सिरपर उठा लिया. उसे लगता है कि कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में समिति के नेताओं को पर्याप्त जगह नहीं दी.

चुनाव के मौसम में टिकट की उम्मीद टूटने पर भुजाएं मृदंग की तरह फड़कती हैं, हार्दिक से राहूल और राहुल के दरवाजे तक दौड़ने वाले दूत की चप्पल घिस गई लेकिन पाटीदारों को मजा नहीं आया. पहली ही लिस्ट आई थी कि पहलवानों को काम मिल गया.

पाटीदारों ने वराछा के कांग्रेस उम्मीदवार के दफ्तर को तोड़-फोड़ डाला. मनापा में नेता प्रतिपक्ष प्रफुल्ल तोगड़िया के दफ्तर में तोड़फोड़ की. मजूरा में तो कांग्रेस और हार्दिक के लोगों में जमकर हाथापाई हुई. पूणा में कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी के दफ्तर को निशाना बनाया गया.

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दरअसल कांग्रेस ने अभी मात्र 77 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है. ललित वसोया और अमित पटेल समेत हार्दिक पटेल के तीन साथियों को कांग्रेस ने अपन सूची में समाहित किया है. लेकिन पाटीदार अमानत आंदोलन समिति यानी (PAAS) ने कहा कांग्रेस उनकी उम्मीदों पर फेल हो गई. अहमदाबाद में भरत सिंह सोलंकी के घर के सामने इतने पाटीदार जमा हो गए कि चुनाव आय़ोग को उनकी सुरक्षा कड़ी करनी पड़ी.  

दरअसल कांग्रेस और हार्दिक की पलटन में हमारे पटेल तुम्हारे पटेल का खेल शुरू हो गया है. सूरत में कांग्रस ने तीन पाटीदारों को टिकट दिया है. लेकिन PAAS वाले कहते हैं कि इसमें हमारे पाटीदार कहां हैं. आंदोलन वालों ने सूरत से 6 टिकटों की मांग की थी, उन्हें 11 संयोजकों को उम्मीदवार बनाए जाने की उम्मीद थी.  

अब कांग्रेस की हालत खराब हो गई है, क्योंकि जिन पादीदारों को अपना बनाने में सारे पापड़ बेल डाले उसे जब खाने का वक्त आया तो पता चला जल चुका है. पार्टी के प्रभारी अशोक गहलोत की समझ में नहीं आ रहा कि अब किया क्या जाए. अशोक गहलोत ने कहा, 'मैं इस हिंसा की निंदा करता हूं. हार्दिक और उनके कार्यकर्ताओं को सूझबूझ से काम लेना चाहिए. जो भी मुद्दा है उसे बातचीत से हल कर सकते हैं'.

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अब बीजेपी को कांग्रेस में घमासान मजा लेने का मौका मिल गया है, वो पहले दिन से आरक्षण आंदोलन समिति को कांग्रेस की बी टीम बता रही है. अब टिकट न मिलने पर समिति के लोगों के गुस्से ने उसके इस शक को जमीन दे दी है. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि जो PAAS नेता कांग्रेस के एजेंट बनकर काम कर रहे थे, अब उनकी सच्चाई खुलकर सामने आ गई है.

वहीं अब हालत ये है कि पाटीदार जिस हार्दिक की धड़कनों के साथ अपने कदम बढ़ाते थे वो उन्हें सुनने तक को तैयार नहीं हैं. नतीजा अपने हालात से हारे हार्दिक को ट्वीट करके उनका जमीर जगाना पड़ रहा है. हार्दिक का दर्द ट्वीट में झलका..

सियासत की रंगत में ना डूबो इतना

कि वीरों की शहादत भी नजर न आए

जरा सा याद कर लो अपने वायदे जुबान को

गर तुम्हें अपनी जुबां का कहा याद आए

गौरतलब है कि 24 साल के जिस नौजवान को गुजरात चुनाव के बदलाव का वाहक बताया जा रहा था उसे सीडी की सियासत ने अपने ही समुदाय की सियासत में नेपथ्य में फेंक दिया है.

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