उत्तर प्रदेश में कमजोर बरसात तथा पंजाब एवं हरियाणा के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के बावजूद कृषि मंत्री शरद पवार ने शुक्रवार को विश्वास व्यक्त किया कि भारत का खाद्यान्न उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर होगा.
पवार ने कहा, 'यह सही है कि उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार के कुछ हिस्सों में अपर्याप्त बरसात हुई है. ये भी सही है कि पंजाब और हरियाणा में भारी बरसात के कारण कुछ क्षति हुई है. इसके बावजूद पिछले वर्ष के मुकाबले उत्पादन अधिक होगा.'
भारत ने 2008-09 में 23.44 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन किया था तथा पिछले सप्ताह बरसात बेहतर होने की संभावना को देखते हुए कृषि मंत्री ने कहा था कि देश में इस बार जबर्दस्त उत्पादन होगा. पवार ने कहा, 'बुवाई की ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले वर्ष के मुकाबले चावल, तिलहन, दलहन, कपास, गन्ना और जूट का बुवाई का रकबा कहीं अधिक है.'
उन्होंने कहा कि आज की स्थिति के अनुसार मानसून की संभावना काफी उत्साहवर्धक है. पिछले एक सप्ताह से मानसून ने आंख मिचौनी का खेल खेलना शुरू किया है जिसको लेकर उत्पादन कम रहने की संभावना चिंता का कारण बनती जा रही है. उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर कुछ कमी है लेकिन इस अंतराल के बाद निरंतरता की स्थिति बनेगी. मैं अधिक चिंतित नहीं हूं क्योंकि कभी कभी ऐसा होता है. एक साल पहले भी कुछ कमी थी, लेकिन हम बगैर दिक्कत के पर्याप्त मात्रा में उत्पादन कर सकने में सफल रहे. {mospagebreak}
कृषि मंत्री ने कहा कि मौसम विभाग ने जुलाई में 98 प्रतिशत और अगस्त में 102 प्रतिशत बरसात होने का अनुमान व्यक्त किया है. पवार ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में बरसात की वजह से कुछ नुकसान हुआ है लेकिन दोनों ही राज्यों की सरकारों ने विश्वास व्यक्त किया है कि विशेषकर चावल का उत्पादन प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'कुछ नुकसान हो सकता है लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि कमी को पूरा कर लिया जायेगा.' उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा केन्द्रीय पूल में अधिकतम खाद्यान्न का योगदान करते हैं.
हालांकि, मंत्री ने भंडारण क्षमता के बारे में चिंता का इजहार किया और कहा कि सरकार गोदामों के निर्माण के लिए राज्यों और निजी भागीदारों को गंभीरता से प्रेरित कर रही है. मौजूदा समय में सरकार की भंडारण क्षमता 4.1 करोड़ टन भंडारण की है जबकि स्टाक छह करोड़ टन का है. पवार ने कहा, 'अगर बुवाई का आकलन सही है और अगले वर्ष का उत्पादन कहीं अधिक रहता है, तो भंडारण की गंभीर समस्या आयेगी.
इसी कारण से हम राज्य सरकारों की मदद से आक्रामक ढंग से देश के विभिन्न हिस्सों में भंडारगृहों के निर्माण पर जोर दे रहे हैं.' पवार ने कहा कि उनका मंत्रालय भंडारण के लिए जगह की समस्या का आकलन करेगा और अगर जरूरी हुआ तो भंडारगृहों के निर्माण की इच्छुक कंपनियों के लिए वित्त मंत्रालय से अधिक रियायतों की मांग करेगा.