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तो क्या कांग्रेस छोड़ बीजेपी को समर्थन देंगे शरद पवार!

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के कार्यक्रम में शामिल हुए एनसीपीअध्यक्ष एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि ‘राजनीति में कोई भी अछूत नहीं है.’ गडकरी ने इस मौके पर अपने पूर्ति समूह की व्यापारिक योजनाएं पेश की.

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शरद पवार
शरद पवार

2014 में आम चुनाव होने हैं और इससे पहले तेजी से समीकरण बदल रहे हैं. इसी बदलते समीकरण में लगता है बीजेपी को एक नया साथी मिल सकता है क्योंकि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के कार्यक्रम में शामिल हुए राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि ‘राजनीति में कोई भी अछूत नहीं है.’ गडकरी ने इस मौके पर अपने पूर्ति समूह की व्यापारिक योजनाएं पेश की.

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पवार ने गडकरी के कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा, ‘राजनीति तथा सामाजिक कार्य में कोई अछूत नहीं होना चाहिए.’ उल्लेखनीय है कि गत वर्ष पूर्ति समूह उस समय सुखिर्यों में आया था जब उसमें मुखौटा कंपनियों द्वारा निवेश किये जाने की बात सामने आयी थी. इससे अंतत: गडकरी को बीजेपी अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था.

इस मौके पर गडकरी ने देशभर में 100 पेट्रोल पंप शुरू करने के लिए एस्सार समूह के साथ समझौते की घोषणा की. इन पेट्रोल पंपों से इथेनॉल मिले पेट्रोल की बिक्री होगी जिसकी कीमत सरकारी तेल कंपनियों से दो रुपये प्रतिलीटर कम रहेगी.

पूर्ति समूह गन्ने की खोई और अन्य जैव कचरे से इथेनॉल बनाती है. गडकरी और पूर्ति ने जैवईंधन मिश्रित विमान ईंधन बनाने के लिए आईआईटी समूह द्वारा एक अनुसंधान को प्रायोजित किया है. गडकरी ने इसके साथ ही पूर्ति समूह के वाणिज्यिक एलपीजी विपणन के साथ ही बैट्री संचालित रिक्शा क्षेत्र में उतरने की घोषणा की. इसका उद्देश्य पारंपरिक रिक्शों को हटाना है जिसमें शारीरिक श्रम लगता है. गडकरी ने कहा, ‘इन रिक्शों को खरीदने पर आने वाले व्यय का एक हिस्सा पूर्ति समूह और उसके द्वारा संचालित दीनदयाल ट्रस्ट द्वारा वहन किया जाएगा.’ पवार ने अपने संबोधन ने भारीभरकम खर्च वाले बड़े बांधों के बजाय चेकडेम जैसी छोटी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए गडकरी की प्रशंसा की.

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उन्होंने कहा, ‘गोशीखुर्द परियोजना को ही लीजिए. उसमें लोगों तक लाभ पहुंचने में 25 साल लग गए. दूसरी तरफ छोटे बांध सालभर के अंदर ही नतीजे देने लगते हैं. कई साल बीत गए लेकिन विदर्भ की सिंचाई परेशानी अब भी अनसुलझी है.’ रोचक तथ्य यह है कि 1983 में भंडारा जिले में शुरू हुई यह परियोजना भ्रष्टाचार एवं धन की हेराफेरी के आरोपों से घिर गयी और उसकी लागत काफी बढ़ गयी.

पवार गडकरी दोनों ने पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से इनकार करने पर सरकारी पेट्रोल कंपनियों की कड़ी आलोचना की.

पवार ने कहा, ‘यह एक स्थापित तथ्य है कि (पेट्रोल में इथेनॉल) मिलाने से तेल आयात बिल में कटौती से विदेशी मुद्रा के प्रवाह में भारी बचत होगा. लेकिन काफी ना नुकूर के बार सार्वजनिक पेट्रोल कंपनियां बस 0.5 फीसदी ही इथेनॉल मिलाने पर राजी हुई, और वे ही इसका बेहतर कारण बता सकती हैं.’ गडकरी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को मेरा विचार काफी पसंद आया है और उन्होंने पूछा भी ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है. इस पर मैंने जवाब दिया यह आपकी सरकारी है, सो ऐसे में दूसरे किसको यह बेहतर मालूम होगा.’ केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री प्रफुल पटेल ने भी गडकरी के विचारों पर मुहर लगायी और उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि वह मिश्रित ईंधन चालित ऑटोमोबाइल इंजनों को बढ़ावा देकर अपने मंत्रालय के माध्यम से उनकी सभी संभव सहायता करेंगे.

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