विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रह चुके अशोक सिंघल ने आज तक से खास बातचीत में कहा कि साधु संतों और हिंदू समाज यह कह रही है कि राम मंदिर का फैसला कोर्ट नहीं कर सकती.
सिंघल ने कहा कि राम मंदिर अयोध्या के उसी 70 एकड़ जमीन पर बनाई जाएगी और उसमें मुस्लिम समाज को विरोध नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि हम कोर्ट का फैसला नहीं मानेंगे. हम पिछले 60 साल से कोर्ट का फैसला मान रहे हैं लेकिन अब संसद को इस पर विचार करना चाहिए. अगर यह नहीं हुआ तो एक बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा हो जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी को अब यह मान लेना चाहिए कि उनके मुख्यधारा के मुद्दे से भटक जाने के कारण ही उनका लोगों से संपर्क कटा है. बीजेपी को राम मंदिर और यूनिफार्म सिविल कोड जैसे मुद्दों को फिर से उठाना चाहिए. पहले बीजेपी सत्ता में आने के लिए इन्हीं सब मुद्दों को उठाया करती थी लेकिन जब से ये सारे मुद्दे बीजेपी ने छोड़ दिया तब से संत समाज ने पार्टी को छोड़ दिया है. पिछले 15 साल से संत समाज बीजेपी से दुखी है.
अगर बीजेपी फिर से इन मुद्दों को अपना मुख्य मुद्दा बनाती है तो वे 300 तक सीटें जीत सकती हैं. इन्हीं मुद्दों को लेकर पार्टी सत्ता में पहुंची थी और उसे 180 सीटें मिली थी. उन्होंने आगे कहा कि यह मेरा काम नहीं है कि बीजेपी को मैं यह समझाऊं, उन्हें खुद ही सिग्नल को समझना होगा.
सिंघल ने आगे कहा कि अगर बीजेपी इस ओर ध्यान नहीं देती है तो संत समाज खुद ही बड़ा निर्णय लेने में सक्षम है और उन्हें हिंदू समाज का पूरा साथ भी मिलेगा.