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India Today Conclave 2017: इंग्लिश न आने की वजह से लास्ट बेंचर बने Paytm CEO

जब दिल्ली स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में उन्होंने दाखिला लिया तो उन्हें इंग्लिश समझने में काफी दिक्कत हुई. शुरुआत में मैं पहली बेंच पर बैठने वाला छात्र था, लेकिन इंग्लिश न समझने की वजह से मैं लास्ट बेंच पर बैठने लगा. क्योंकि कॉलेज के शुरुआती दिनों में टीचर को इंग्लिश में जवाब नहीं दे सकता था

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पेटीएम सीईओ
पेटीएम सीईओ

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पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा India Today Conclave 2017 में आए और उन्होंने पेटीएम की सफलता के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि वो अलीगढ़ जैसे छोटे शहर से आए हैं और शुरुआत में उन्हें इंग्लिश समझने में काफी परेशानी होती थी, क्योंकि वो हिंदी मीडियम के छात्र रहे हैं.

इंग्लिश समझने में मुश्किल की वजह से बने लास्ट बेंचर
पेटीएम फाउंडर ने कहा कि उनकी स्कूलिंग हिंदी मीडियम में हुई. उन्होंने कहा, ‘जब दिल्ली स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में उन्होंने दाखिला लिया तो उन्हें इंग्लिश समझने में काफी दिक्कत हुई. शुरुआत में मैं पहली बेंच पर बैठने वाला छात्र था, लेकिन इंग्लिश न समझने की वजह से मैं लास्ट बेंच पर बैठने लगा. क्योंकि कॉलेज के शुरुआती दिनों में टीचर को इंग्लिश में जवाब नहीं दे सकता था’

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उन्होंने यह भी कहा कि इंग्लिश समझ न आने की वजह से उन्हें दूसरे छात्रों ने परेशान भी किया.

8 लाख रुपये का लोन बना गेम चेंजर

पेटीएम के फाउंडर और सीईओ ने India Today Conclave के दौरान कहा कि उन्होंने लोन के तौर पर पीयूष अग्रवाल से 8 लाख रुपये लिए थे. इससे पहले भी उन्होंने कई बार कहा है कि अगर समय पर 8 लाख रुपये न मिले होते तो One97 कंपनी का शायद वजूद भी नहीं होता और न ही पेटीएम का. आपको बता दें क पेटीएम की पेरेंट कंपनी One97 है.

पैसे ट्रांसफर के लिए नहीं लगने चाहिए पैसे
पैसे ट्रांसफर करने के बारे में उनका मानना है कि लोगों को अपने पैसे ट्रांसफर करने के लिए पैसे देने की कोई जरुरत नहीं है और पेटीएम का फंडा यही है. हम पैसे ट्रांसफर करने पर कोई चार्ज नहीं लेते हैं. हालांकि पैसै कमाने के जवाब में उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर आप जब पेटीएम से बस टिकट कराते हैं तो इससे वो पैसे कमाते हैं.

यूजर्स न होने की वजह से भारत में ऐपल जैसी कंपनियां नहीं
इंडिया टुडे टीवी के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल ने पूछा कि क्यों भारत अभी तक ऐपल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी नहीं बना पाया है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में पहले यूजर्स नहीं थे. हालांकि अब भारत में यूजर्स बढ़ रहे हैं.

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अब भारतीय कंपनियों के सॉफ्टवेयर यहां के यूजर्स के लिए भी बनते हैं.

उन्होंने कहा कि अब वो समय है जब भारतीय कंपनियां भारतीय यूजर्स के लिए सॉफ्टवेयर बनाती हैं, लेकिन पहले ऐसा नहीं था. पहले सिर्फ प्रोडक्ट्स दूसरे देशों में भेजे जाते थे.

टेलीकॉम नेटवर्क और इंटरनेट की पहुंच जरूरी
पेटीएम की सफलता के बारे में उन्होंने बताया है कि पेटीएम के मर्चेंट्स का नेटवर्क बड़ा है इसलिए लगातार इससे यूजर्स जुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन इसलिए लोगों तक नहीं पहुंचा क्योंकि इंटरनेट की पहुंच कम है. टेलीकॉम नेटवर्क की वजह से स्मार्टफोन की पहुंच कम हुई है.

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