अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहा करने के बाद जम्मू-कश्मीर सहित देश के संसद का 'आलम' भी गरमाया हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मसरत की रिहाई की कड़ी निंदा की है. लेकिन इन सब के बीच जम्मू-कश्मीर की मुफ्ती सरकार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही. सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने रिहाई पर फैसले के लिए गृह विभाग को 15 और लोगों की लिस्ट भेजी है.
इस बीच पीडीपी से गठबंधन तोड़ने पर बीजेपी में भी मंथन शुरू हो गया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी के कुछ आला नेताओं का मानना है कि मुफ्ती सरकार अगर ऐसे ही फैसले लेती रही तो गठबंधन में बने रहना मुश्किल होगा. सोमवार को मसरत की रिहाई का मामला संसद में भी गूंजा और विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की. इस मुद्दे पर लोकसभा में बयान देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो कुछ भी हुआ वो केंद्र की जानकारी में नहीं हुआ. मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा चाहे उसके लिए कुछ भी न्योछावर करना पड़े.
राजनीतिक कैदियों की रिहाई के मामले में मुख्यमंत्री मुफ्ती से मुलाकात के बाद बीजेपी के विधायकों ने बताया कि दोनों पार्टी की आठ सदस्यों वाली कमेटी इस बात का फैसला करेगी. दूसरी तरफ गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा कि जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और बना रहेगा. राजनाथ ने कहा, ‘किसी भी व्यक्ति को भले ही वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, देश की एकता और अखंडता व सुरक्षा से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. हम इसके लिए कुछ भी न्योछावर करने के लिए तैयार हैं.’ उन्होंने कहा कि सरकार का कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है.
मसरत की रिहाई में बीजेपी-पीडीपी का गुप्त समझौता: कांग्रेस
कांग्रेस ने इस मामले आश्चर्य जताया कि क्या अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई के बारे में जानकारी नहीं होने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी के बीच ‘गुप्त समझौते’ का हिस्सा है.
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री को लोगों को अवश्य जवाब देना चाहिए कि क्या इस मुद्दे पर जानकारी के अभाव और सलाह-मशविरे के अभाव के संबंध में उनके बयान का आशय यह है कि वह छल कर रहे हैं या कोई गुप्त समझौता था या वह पूरी तरह से अनभिज्ञ थे.