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जेपी आंदोलन में हिस्सा लेने वालों को पेंशन

बिहार में 18 मार्च 1974 से लेकर 21 मार्च 1977 तक चले जेपी आंदोलन में हिस्सा लेनेवाले आंदोलनकारियों को पेंशन और सम्मानित करने के निर्णय को शुक्रवार को प्रदेश मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी.

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

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बिहार में 18 मार्च 1974 से लेकर 21 मार्च 1977 तक चले जेपी आंदोलन में हिस्सा लेनेवाले आंदोलनकारियों को पेंशन और सम्मानित करने के निर्णय को प्रदेश मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी.

जेपी सेनानी सम्मान योजना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को पटना में राज्य मंत्रिपरिषद की हुई बैठक के बाद नीतीश ने पत्रकारों से कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में लोकतंत्र की रक्षा के लिए चलाये गए इस आंदोलन में भाग लेनेवालों को राज्य सरकार जेपी सेनानी सम्मान योजना के अंतर्गत पेंशन देगी और सम्मानित करेगी.

2500 रुपये प्रतिमाह सम्मान पेंशन
नीतीश ने बताया कि इस योजना के तहत आंदोलन के दौरान मीसा और डिफेंस ऑफ इंडिया रूल (डीआईआर) के तहत एक से छह माह तक जेल भेजे गये आंदोलनकारियों को 2500 रुपये प्रतिमाह सम्मान पेंशन के रूप में प्रदान किया जाएगा. उन्होंने बताया कि आंदोलन के दौरान छह माह से अधिक समय तक जेल में बंद रहे आंदोलनकारियों को पांच हजार रुपये मासिक पेंशन के रूप में दिया जायेगा.

नीतीश ने बताया कि इसी प्रकार आंदोलन के दौरान जेल में मृत एवं पुलिस गोलीबारी में मारे गये आंदोलनकारियों के पति-पत्नी को 5000 रुपये तथा पुलिस गोलीबारी में घायल हुये आंदोलनकारियों को 2500 रुपये मासिक पेंशन के तौर पर दिये जायेंगे.

बसों में प्रदेश के अन्दर मुफ्त यात्रा
उन्होंने बताया कि इन आंदोलनकारियों को बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में प्रदेश के अन्दर मुफ्त यात्रा की सुविधा तथा राज्य सरकार के अस्पतालों में स्वयं और पति-पत्नी के लिये चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराये जाने के साथ-साथ उन्हें पहचान पत्र निर्गत किये जायेंगे.{mospagebreak}1 जून से लागू हुआ पेंशन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह योजना इस वर्ष एक जून से लागू की जा रही है और इस पर 31 करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे. इस योजना के अंतर्गत मासिक पेंशन पानेवाले लोगों को राशि का भुगातन स्वतंत्रता सम्मान योजना का लाभ पानेवाले लोगों की तरह ही बैंकों के माध्यम से किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जेपी आंदोलन में भाग लेनेवाले लोगों को चिन्हित करने और इस आंदोलन में भाग लेने वालों से प्राप्त आवेदन पत्र के संबंध में उठाये गये आपत्तियों का निराकरण करने के लिये आचार्य श्रीराममूर्ति की अध्यक्षता में एक सलाहकार परिषद का पहले ही गठन कर दिया है जिनकी अनुसंशाओं के अनुसार लोगों का चयन किया जायेगा.

पत्रकारों को भी मिलेगा लाभ
नीतीश ने बताया कि जेपी आंदोलन के दौरान एक माह से कम अवधि के लिये जेल में बंद रहे अथवा भूमिगत रहे व्यक्तियों तथा इस आंदोलन के दौरान अपना अपना योगदान देनेवाले साहित्यकार, रंगकर्मी, वकील, पत्रकार, सहित अन्य लोग जिनके बारे में सलाहकार परिषद द्वारा सिफारिश की जायेगी ऐसे चयनित व्यक्तियों को राज्य सरकार सम्मान के तौर पर प्रशस्तिपत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान करेगी.
 

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लालू-नीतीश ने नहीं किया आवेदन
यह पूछे जाने पर कि जेपी आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भी आवेदन दिया है नीतीश ने कहा कि इस संबंध में उनका कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि जेपी आंदोलन में भाग लेने वाले ऐसे आंदोलनकारी जिन्होंने अबतक आवेदन नहीं दिए हैं लेकिन सलाहकार परिषद के नजर में उन्होंने आंदोलन में हिस्सा लिया था तो उन्हें भी अनुशंसा पर राज्य सरकार द्वारा जे पी सेनानी सम्मान योजना के तहत प्रस्तावित सुविधा दी जाएगी.

पेंशन का लाभ नहीं लेंगे नीतीश
आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे नीतीश से जब यह पूछा गया कि उन्होंने स्वयं इसके लिए आवेदन किया है नीतीश ने इससे इंकार कर दिया. इस अवसर पर मौजूद बिहार के उपमुख्यमंत्री और जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे सुशील कुमार मोदी के बारे में भी मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने भी इस बारे में आवेदन नहीं किया है.

जेपी आंदोलन में हुई थी 51 लोगों की मौत
नीतीश ने बताया कि अबतक प्राप्त आवेदनों और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जेपी आंदोलन के दौरान डीआईआर और मिसा के तहत क्रमश: 6371 तथा 621 व्यक्ति एक महीने से छह महीने तक के लिए जेल में बंद किए गये थे जबकि इस आंदोलन के दौरान छह महीने से अधिक जेल में बंद किए गये लोगों में डीआईआर के तहत 1284 और मिसा के तहत 303 लोग शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि इस आंदोलन के दौरान 51 लोग पुलिस गोलीबारी में मारे गये थे जबकि 141 लोग घायल हुए थे तथा दो आंदोलनकारियों की कारागार में मौत हो गयी थी.

जेपी आंदोलन बना राजकीय समारोह
नीतीश ने बताया कि जेपी आंदोलन के दौरान व्यवस्था परिवर्तन के लिए पांच जून 1974 को आहूत संपूर्ण क्रांति दिवस को राजकीय समारोह के तौर पर मनाये जाने की घोषणा राज्य सरकार द्वारा पिछले साल ही कर दी गयी थी और सरकार की इस घोषणा के तहत इस वर्ष से इसे राजकीय समारोह के तौर पर मनाया जा रहा है.

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