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जलीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन, हाई कोर्ट का दखल देने से इंकार

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मंगलवार रात को जलीकट्टू के समर्थन में बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किए हैं. इस बीच बुधवार को मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने हाथ में ले लिया है, इसलिए अब उसके द्वारा दखल नहीं दिया जा सकता.

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चेन्नई के मरीना बीच पर जुटे प्रदर्शनकारी
चेन्नई के मरीना बीच पर जुटे प्रदर्शनकारी

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 तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मंगलवार रात को जलीकट्टू के समर्थन में बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किए हैं. इस बीच बुधवार को मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने हाथ में ले लिया है, इसलिए अब उसके द्वारा दखल नहीं दिया जा सकता. लोकप्रिय खेल जल्लीकट्टू के आयोजन और पशु अधिकार संगठन 'पेटा' पर प्रतिबंध की मांग कर रहे युवाओं का बुधवार को दूसरे दिन राज्यभर में प्रदर्शन उग्र हो गया है. प्रदर्शनकारियों के प्रति समर्थन बढ़ता जा रहा है. इसी प्रकार तमिलनाडु में अन्य स्थानों पर भी प्रदर्शन उग्र हो रहा है.

नमक्कल जिले में वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार करने की घोषणा की है. राज्य के दो मंत्रियों से वार्ता के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाने के बाद सैकड़ों कॉलेज छात्र और अन्य युवा अपनी मांग को लेकर मंगलवार रातभर मरीना बीच पर बैठे रहे. पुलिस द्वारा मरीना बीच की बिजली आपूर्ति बंद कर देने के बावजूद रातभर मोबाइल फोन की रोशनी के सहारे प्रदर्शन जारी रहा. मदुरै जिले के अलंगनाल्लुर में जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन करने वालों की गिरफ्तारी की खबर फैलने के बाद यहां मंगलवार सुबह से ही प्रदर्शन शुरू हो गया. अलंगनाल्लुर में जल्लीकट्टू के समर्थन में सोमवार को लोगों ने प्रदर्शन किया था.

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द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के कार्यकारी अध्यक्ष और तमिलनाडु में विपक्ष के नेता एम.के. स्टालिन ने मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम से प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करने और जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है. प्रदर्शनकारियों को लोकप्रिय अभिनेता विजय के समर्थन से भी बल मिला है.

चेन्नई के मरीना बीच पर जलीकट्टू के समर्थन पर चल रहे भारी प्रदर्शन के बारे में एडवोकेट के बालू की याचिका पर कोर्ट ने यह बात कही. बालू ने शिकायत की थी कि जब जलीकट्टू के विरोध में 'शांतिपूर्ण प्रदर्शन' चल रहा था, तो प्रशासन ने बिजली काट दी और प्रदर्शनकारियों को पेयजल की आपूर्ति जैसी कोई व्यवस्था नहीं की गई.

चीफ जस्टिस एस के कौल और जस्ट‍िस एम सुंदर की पीठ ने 'अब इस स्टेज में इस मामले में किसी तरह का दखल देने से इंकार कर दिया.' खंडपीठ ने कहा, 'सबसे पहली बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपने हाथ में ले लिया है. अब इस मामले में हाई कोर्ट या तमिलनाडु सरकार कुछ नहीं कर सकती. दूसरी बात यह है कि मरीना रोड कोई प्रदर्शन करने की जगह नहीं है. अब इस स्टेज में कोई दखल देना नहीं चाहता.'

गौरतलब है कि जलीकट्टू के समर्थन में बड़ी संख्या में मंगलवार पूरी रात बड़ी संख्या में युवाओं ने प्रदर्शन किया. राज्य सरकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर मामले को शांत करने का प्रयास कर रही है. राज्य सरकार ने युवाओं को आश्वासन दिया है कि इस मामले में राष्ट्रपति से संपर्क अध्यादेश लाने का अनुरोध किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने गत 12 जनवरी को इस मामले में पोंगल त्योहार से पहले आदेश पारित करने से इंकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में जलीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया है और पिछले साल दिसंबर में राज्य सरकार की इस मामले में समीक्षा याचिका को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया. केंद्र सरकार बैन हटाने के लिए एक नोटिफिकेशन लेकर आई जिस पर कोर्ट ने अपना आदेश सुर‍क्षित कर दिया था.

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