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हादिया की निजी स्वतंत्रता सामाजिक मूल्यों से बढ़कर: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस्लाम के किसी अनुयायी से शादी करने के लिए उसे सिर्फ इसलिए रोका नहीं जा सकता क्योंकि उसे शादी करने के लिए मुस्लिम धर्म में परिवर्तित होना होगा. हादिया के पिता भले ही सामाजिक मूल्यों व नैतिकता के लिए उसे बचाना चाहते हों, लेकिन निजी स्वतंत्रता उनसे कही बढ़कर है.

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हादिया
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अखिला उर्फ हादिया मामले में विस्तृत आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई गंभीर टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने व्यक्तिगत आज़ादी को सामाजिक मूल्यों, मान्यताओं और सोच से काफी ऊपर बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बिना मर्जी के मजबूरी में हदिया उर्फ अखिला ने अपने पिता की हिरासत में जो महीने गुजारे, उन्हें वापस तो नहीं लाया जा सकता लेकिन अपनी पसंद के एक व्यक्ति के लिए धर्म बदलकर शादी करने की आजादी में दखल नहीं दिया जा सकता.

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस्लाम के किसी अनुयायी से शादी करने के लिए उसे सिर्फ इसलिए रोका नहीं जा सकता क्योंकि उसे शादी करने के लिए मुस्लिम धर्म में परिवर्तित होना होगा.हादिया के पिता भले ही सामाजिक मूल्यों व नैतिकता के लिए उसे बचाना चाहते हों, लेकिन निजी स्वतंत्रता उनसे कही बढ़कर है.

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सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी एनआईए की जांच को लेकर भी आदेश में टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी एनआईए हादिया के पट्टी शफीन जहां या अन्य के खिलाफ किसी भी आपराधिक मामले की जांच तो कर सकती है, लेकिन हदिया की वैवाहिक स्थिति की समीक्षा नहीं.

गौरतलब है कि अखिला ने दिसंबर 2016 में शैफीन जहां से शादी कर ली थी. वह मस्कट की एक कंपनी में मैनेजर था. 21 दिसंबर, 2016 को हादिया पति के साथ कोर्ट के सामने आई. लेकिन कोर्ट ने उसे हॉस्टल भेज दिया था. हादिया के पति ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.  बता दें कि एक अंतरिम आदेश द्वारा 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को आजाद कर दिया था और कहा था कि हाईकोर्ट ने शफीन जहां से शादी को गलत तरीके ये रद्द किया है.

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