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विचार: पाकिस्तान में अब भी बेखौफ हैं आतंक के पनाहगार

पाकिस्तान के आर्मी चीफ राहिल शरीफ बुधवार को काबुल पहुंचे. वहां के अफसरों से मिले और बताया कि पेशावर आर्मी स्कूल के हमलावर अफगानिस्तान से आए थे. वे इस हमले के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी की भी मांग की, जो अफगानिस्तान से ही हमलावरों को निर्देश दे रहा था. इसके लिए उन्होंने अफगान इंटेलिजेंस को पुख्ता सबूत दिए.

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पेशावर में दो दिन पहले हुआ था आतंकी हमला
पेशावर में दो दिन पहले हुआ था आतंकी हमला

पाकिस्तान के आर्मी चीफ राहिल शरीफ बुधवार को काबुल पहुंचे. वहां के अफसरों से मिले और बताया कि पेशावर आर्मी स्कूल के हमलावर अफगानिस्तान से आए थे. वे इस हमले के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी की भी मांग कर रहे थे, जो अफगानिस्तान से ही हमलावरों को निर्देश दे रहा था. इसके लिए उन्होंने अफगान इंटेलिजेंस को पुख्ता सबूत दिए.

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अब इन तथ्यों पर फिर से गौर करें तो ये मुंबई हमलों के बाद भारत की पाकिस्तान से गुहार से मिलते-जुलते नहीं हैं? पाक आर्मी चीफ ने इस हमले के मास्टरमाइंड ही नहीं, तहरीक-ए-तालिबान के प्रमुख मुल्ला फजलुल्ला को भी उसे सौंपने को कहा, जो पाकिस्तान में कई हमले कराने का दोषी है, वैसा ही जैसा कि दाउद इब्राहिम, हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर भारत में. यानी सबूत सौंपने, सबूत मांगने, कार्रवाई की मांग करने और कार्रवाई करने का आश्वासन देने का दौर नए सिरे से शुरू.

तो ये सरकारों की बेचारगी का मामला है? बिलकुल नहीं. वे पूरी तरह ताकतवर हैं. अपनी सियासत को लेकर. कारण है. वे परख चुके हैं लोगों की तबीयत को. हमले पर कितना गुस्सा किया जाता है और वह कब शांत हो जाता है. कम से कम भारत-पाकिस्तान इस मामले में तो एक जैसे ही हैं.

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इससे एक उलट एक उदाहरण इतिहास से लेते हैं. मामला इजराइल का है. 1972 म्यूनिख ओलंपि‍क के दौरान फिलिस्तीनी आतंकियों ने 'ब्लैक सेप्टेंबर' ऑपरेशन को अंजाम दिया. ओलंपिक खेल गांव में इजराइली खिलाड़ियों को बंधक बनाया. इजराइली जेलों में बंद अपने करीब 250 साथियों की रिहाई की मांग रखी. बातचीत बिगड़ी तो सभी बंधक खिलाड़ियों की हत्या कर दी. दुनियाभर में निंदा हुई. लेकिन तत्कालीन इजराइली प्रधानमंत्री गोल्डा मायर ने इसे अलग तरह से डील किया. इजराइल ने इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद की स्पेशल टीम गठित की और निर्देश दिया कि इस हमले के मास्टरमाइंड दुनिया में जहां भी हैं, उन्हें खत्म कर दो. और फिर दुनिया को बताओ कि ये हमने किया है. मोसाद के तत्कालीन चीफ जवी जामीर ने 2006 में एक इंटरव्यू में बताया कि हमारा फोकस स्पष्ट था. हम बीते दिनों की किसी घटना से नहीं निपट रहे थे, हम तो अपना भविष्य सुनिश्चित कर रहे थे.

चलते-चलते दो खबर और: भारत में आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार सबसे बड़े आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कश्मीर के लिए शहीद अफजल गुरु स्क्वाड बनाया है. जाहिर है ये स्क्वाड समाजसेवा तो करेगा नहीं. दूसरा, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने कहा है कि पेशावर के स्कूल में हमला भारत ने करवाया. काफिरों से इसका बदला लिया जाएगा. जब वह चीख-चीखकर यह तकरीर कर रहा था तब मुफ्त ट्रेनों और बसों में भरकर लाए गए हजारों लोग तालियां बजा रहे थे.

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खुदा खैर करे.

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