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पेट्रोल, डीजल पर करीब 50 फीसदी टैक्स, कटौती का ये मंत्रालय कर रहा विरोध

राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 55 महीने के उच्च स्तर 74.50 प्रति लीटर तक पहुंच गई है, तो डीजल भी 65.75 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई है. इनकी कीमत का करीब 50 फीसदी का बड़ा हिस्सा टैक्स का होता है, इसलिए ईंधन कीमतों पर उत्पाद शुल्क सहित तमाम टैक्स में कटौती की मांग बढ़ती जा रही है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 55 महीने के उच्च स्तर 74.50 प्रति लीटर तक पहुंच गई है, तो डीजल भी 65.75 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई है. इनकी कीमत का करीब 50 फीसदी का बड़ा हिस्सा टैक्स का होता है, इसलिए ईंधन कीमतों पर उत्पाद शुल्क सहित तमाम टैक्स में कटौती की मांग बढ़ती जा रही है. लेकिन वित्त मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क में कटौती के खिलाफ है.

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. दूसरी तरफ, यही केंद्र सरकार बीजेपी शासित 21 राज्य सरकारों से कह रही है कि वे पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले बिक्री कर या वैट में कटौती करें.

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सरकार को यदि बजट घाटे में कटौती के लक्ष्य को पूरा करना है तो एक्साइज ड्यूटी में कटौती की सलाह नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा, 'उत्पाद शुल्क में कटौती एक राजनीतिक निर्णय होगा, लेकिन हमें यदि बजट में निर्धारित वित्तीय घाटे के लक्ष्य पर अडिग रहना है तो इसकी सलाह नहीं दी जा सकती.'

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जानें कितना लगता है टैक्स

गौरतलब है कि केंद्र सरकार पेट्रोल पर प्रति लीटर 19.48 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर 15.33 रुपये का उत्पाद शुल्क लगाती है. इसके अलावा दोनों पर राज्यों द्वारा वैट या बिक्री कर लगाया जाता है जो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है. उदाहरण के लिए दिल्ली में पेट्रोल पर वैट 15.84 रुपये और डीजल पर वैट 9.68 रुपये लगता है. इस तरह अगर हम दिल्ली में देखें तो यहां पेट्रोल की कीमत 74.50 प्रति लीटर में से करीब 36 रुपये का टैक्स ही लग जाता है.

वित्त मंत्रालय के अधि‍कारी ने कहा, 'ईंधन में उत्पाद शुल्क पर किए गए हर एक रुपये की कटौती पर सरकार को 13,000 करोड़ रुपये का घाटा होता है.' उन्होंने साफ किया कि पेट्रोलियम मंत्रालय से अभी आधिकारिक रूप से ऐसी किसी कटौती की बात नहीं की गई है.

सरकार इस वित्त वर्ष में वित्तीय घाटे को पिछले वित्त वर्ष के जीडीपी के 3.5 फीसदी से घटाकर 3.3 फीसदी तक लाना चाहती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की बढ़त का महंगाई पर कोई असर नहीं होने वाला.

(www.businesstoday.in से साभार)

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