पेट्रोल-डीज़ल के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी पार्टियां इसके लिए मोदी सरकार दोषी ठहरा रही है, लेकिन मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय हालातों को दाम में बढ़ोतरी का मुख्य कारण बता रही है. दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ सोमवार को पूरा विपक्ष सड़कों पर था, देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुआ और कई जगह तो हिंसा भी हुई. लेकिन सड़क की लड़ाई के बाद असली जंग सोशल मीडिया पर शुरू हुई.
सोशल मीडिया पर क्या हुआ?
दरअसल, पेट्रोल-डीजल के दाम में हो रही बढ़ोतरी के कारण विपक्षी हमले झेल रही भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को ट्वीट कर जनता को कुछ समझाने की कोशिश की. लेकिन बीजेपी का ये दांव उल्टा पड़ गया.
भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से सोमवार शाम 4.45 बजे ट्वीट कर यूपीए सरकार और एनडीए सरकार में पेट्रोल-डीजल के दामों के अंतर को बताया गया. बीजेपी ने इस अंतर को ग्राफ के जरिए समझाया, लेकिन जिस तरह समझाया उस तरीके पर बीजेपी ही फंस गई.
बीजेपी को लगातार सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा और कांग्रेस ने भी इसको तुरंत लपका. कांग्रेस ने कुछ ही मिनटों में एक नया ग्राफ बनाया और बीजेपी को जवाब दिया और उसकी गलतियों को उजागर किया. इसी के बाद से ही सोशल मीडिया पर बीजेपी के इस ग्राफ की किरकिरी हो रही है.
आखिर क्या कहना चाह रही थी बीजेपी?
दरअसल, जिस ग्राफ के कारण भारतीय जनता पार्टी ट्रोल हुई उसमें वह उस मैसेज को जनता तक नहीं पहुंचा पाई जो उसे कहना था. ग्राफ में दिखाया गया कि किस तरह 16 मई 2009 से लेकर 16 मई 2014 तक यूपीए सरकार को दौरान, तब 5 साल में, पेट्रोल की कीमतों में 75.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. कीमत 40.62 रुपये से बढ़कर 71.41 रुपये तक पहुंच गई.
लेकिन बीजेपी शासन में 16 मई 2014 से लेकर 10 सितंबर 2018 तक दामों में बढ़ोतरी 13 फीसदी ही रही. पेट्रोल की कीमत 71.41 रुपये से बढ़कर 80.73 रुपये तक पहुंची.
अब अगर ग्राफ को गौर से देखें तो भारतीय जनता पार्टी ने जिन चीज़ों के अंतर को दर्शाया है वह पेट्रोल-डीज़ल के दामों में हो रही बढ़ोतरी का है लेकिन बीजेपी ने इस अंतर को फीसदी यानी प्रतिशत के हिसाब से दर्शाया है. बीजेपी के ग्राफ के मुताबिक, यूपीए के पांच साल में पेट्रोल के दाम 75 फीसदी और एनडीए के चार साल में सिर्फ 13 फीसदी बढ़े.
इसी तरह डीज़ल के साथ भी हुआ. बीजेपी ने डीज़ल के दामों को समझाते हुए ग्राफ में दिखाया कि डीजल के दाम में भी 2009 से 2014 तक यूपीए सरकार के दौरान डीजल के दाम में 83.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. कीमत 30.86 रुपये से बढ़कर 56.71 रुपये तक पहुंच गई.
लेकिन बीजेपी शासन में 16 मई 2014 से लेकर 10 सितंबर 2018 तक दामों में बढ़ोतरी 28 फीसदी ही रही. डीजल की कीमत 56.71 रुपये से बढ़कर 72.83 रुपये पहुंची. यानी बीजेपी के मुताबिक, यूपीए के 5 साल के कार्यकाल में डीजल के दाम 83 फीसदी बढ़े और एनडीए के शासन में सिर्फ 28 फीसदी तक बढ़े.
ग्राफ से क्या गया संदेश?
इतना तो साफ है कि बीजेपी ये दिखाना चाह रही थी कि उनके कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की गति काफी कम है. लेकिन जिस तरह से ग्राफ को दिखाया गया, वह ट्रोल हो गया. ग्राफ में दिखाया गया है कि किस तरह पेट्रोल के दाम 71 से 80 तक आ गए हैं, लेकिन ग्राफ में दिखाया इस तरह गया है कि मानो दाम घट रहे हैं. लेकिन दाम बढ़े हैं और दाम बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है. बिल्कुल ऐसा ही डीजल वाले ग्राफ के साथ भी हुआ.
कांग्रेस ने किस तरह दिखाया आईना?
ग्राफ के बाद जैसे ही बीजेपी सोशल मीडिया पर ट्रोल होना शुरू हुई, कांग्रेस ने इसका फायदा उठाया. कांग्रेस ने कुछ ही मिनटों बाद बीजेपी के ही उस ग्राफ में कुछ चीज़ें जोड़ कर ट्वीट किया. कांग्रेस ने अपने ट्वीट में बताया कि जब यूपीए का कार्यकाल चल रहा था, तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दाम लगातार बढ़ रहे थे.
कांग्रेस ने समझाया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक दाम होने के बावजूद भारत में दाम इतने अधिक नहीं थे, लेकिन जब आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दाम कम हैं तो मोदी सरकार ने देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा रखे हैं.