scorecardresearch
 

पेट्रोल/डीजल को जीएसटी में लाने के फायदे भी नुकसान भी

आज जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे लाने पर चर्चा करवा सकती है.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Advertisement

आज जीएसटी काउंसिल की बैठक को मौजूदा आर्थिक स्थितियों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश के बाद आज होने वाली बैठक में कारोबारियों की परेशानी दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल महत्वपूर्ण फैसले कर सकती है.

पिछले दो महीने से पेट्रोल और डीजल महंगा होने के कारण केंद्र सरकार को भारी आलोचना झेलनी पड़ी है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम होने के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वसूले जा रहे भारी भरकम टैक्स के कारण ही पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम दिन प्रतिदिन आम आदमी के लिए सिर दर्द बनते जा रहे हैं.

ऐसे में आज जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे लाने पर चर्चा करवा सकती है.

Advertisement

आप तक पहुंचते-पहुंचते कैसे इतना महंगा हो जाता है पेट्रोल/डीजल

ऑयल रिफाइनरी कंपनियां, सरकारी तेल कंपनियों को एक लीटर पेट्रोल 28.29 रुपये प्रति लीटर और डीजल 28.87 रुपये प्रति लीटर में सप्लाई करती हैं. उसके बाद तेल कंपनियां अपना मार्जिन जोड़कर डीलरों को 30.81 पैसे में एक लीटर पेट्रोल और डीजल 30.66 रुपये प्रति लीटर में बेचती हैं.

उसके बाद पेट्रोल की इस कीमत में 19.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी जोड़ा जाता है, जो सीधा केंद्र सरकार के खाते में जाता है.

उसके बाद पेट्रोल पंप डीलर्स को पेट्रोल पर 3.55 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर प्रति लीटर 2.49 रुपये कमीशन दिया जाता है. फिर इसके उपर राज्य सरकार वैट लगाती है. दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल पर दिल्ली सरकार 27 फीसदी की दर से 14.54 रुपये और डीज़ल प्रति लीटर  16.75 फीसदी के दर से वैट वसूलती है जो 8.41 रुपये पर वैट वसूलती है. जिसके बाद दिल्ली में ग्राहकों को एक लीटर पेट्रोल 68.38 रुपये और डीजल प्रति लीटर 56.90 रुपये में मिलता है.

मतलब एक लीटर पेट्रोल तैयार होता है केवल 26.65 रुपये में, लेकिन में तेल कंपनियों का मुनाफा, एक्साइज ड्यूटी, वैट, डीलर्स कमीशन लगभग 41 रुपये जोड़कर 68.38 रुपये में और एक लीटर डीजल करीब 29 रुपये तैयार होता हैं इसमें में तेल कंपनियों का मुनाफा, एक्साइज ड्यूटी, वैट, डीलर्स कमीशन लगभग 27 रुपये जुड़ने के बाद प्रति लीटर 56.90 रुपये में उपभोक्ताओं को डीजल मिलता है. यानी प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल की कीमत पर केंद्र  और राज्य सरकार 120 फीसदी टैक्स वसूलती हैं.

Advertisement

अब ऐसे में केंद्र और राज्यों के बीच पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर बात बन गई और पेट्रोल पर 28 फीसदी जीएसटी लगाया गया, तो पेट्रोल आपको केवल 44-45 रुपये प्रति लीटर और डीजल केवल 42 से 43 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा. यानी पेट्रोल की कीमत में करीब 26 रुपये और डीजल की कीमत में लगभग 14 रुपये की कमी आएगी.

पर बड़ा सवाल जीएसटी के दायरे में लाने के बाद सरकार को राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई कैसे होगी. पिछले दिनों केंद्र सरकार ने पेट्रोल की कीमत में लगभग 2 रुपये 50 पैसे और डीजल की कीमत में 2 रुपये 25 पैसे की इक्साइज ड्यूटी कम की थी, जिसके बाद सरकार केंद्र सरकार को 26 हजार करोड़ रुपये का सालाना रेवेन्यू का नुकसान होने का अनुमान है.

इसी तरह अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो केवल केंद्र सरकार 2 लाख करोड़ का नुकसान होगा. राज्य सरकारों को जो नुकसान होगा वह अलग है. जब देश की अर्थव्यवस्था हर रोज हिचकोले खा रही हो तो ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें इतना बड़ा रेवेन्यू का नुकसान कैसे उठा पाएंगी.

पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में न लाने के लिए केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि ऐसा राज्यों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किया जा रहा है. ज्ञात हो कि अभी पेट्रोल/डीजल पर 51.6 प्रतिशत टैक्स लगता है.

Advertisement

उदाहरण के लिए दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल पर राज्य सरकार ने 27 प्रतिशत वैट लगा रखा है. इसके अलावा केंद्र सरकार 42 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लेती है. हालांकि केंद्र को मिलने वाले एक्साइज ड्यूटी का भी कुछ हिस्सा दिल्ली सरकार को मिलता है. यानी हर लीटर पर दिल्ली सरकार 24.96 रुपये पाती है.

वहीं अगर जीएसटी प्रणाली के तहत अगर पेट्रोल/डीजल को सबसे उच्च स्लैब में रखा जाए तो 28 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. ऐसे में राज्य सरकार को सिर्फ 14 प्रतिशत यानी एक लीटर पर 4.19 रुपये ही मिलेगा, मतलब हर लीटर पर 11.19 रुपये  की हानि होगी.

इसकी भरपाई का अन्य तरीका सेस लगाना हो सकता है, जैसा कि फिलहाल बड़ी कारों और एसयूवी पर लगाया गया है.

जीएसटी के दायरे में इन्हें लाने से पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम एक जैसे हो जाएंगे, लेकिन अभी कई राज्य बड़ा घाटा उठाने के मूड में नहीं हैं.

Advertisement
Advertisement