बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने फोन टेपिंग के मामले को बेहद गंभीर बताया है. अपने ब्लॉग में आडवाणी ने इसकी तुलना इमरजेंसी के दिनों से की है.
आडवाणी ने ब्लॉग में फोन टैपिंग की कई घटनाओं का खुलकर जिक्र भी किया है. एक मैगजीन में छपी सनसनीखेज रिपोर्ट को आडवाणी ने हिला देने वाली रिपोर्ट बताते हुए सरकार को कटघरे में खडा़ किया है.
आडवाणी ने अपने ब्लॉग में 1985 की एक घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि 1985 की एक सुबह एक अजनबी मेरे घर आया जिसके हाथ में कागजों से भरा ब्रीफकेस था. उसने कहा कि ब्रीफकेस में डायनामाइट है जो सरकार को उड़ा सकता है. उसने अपना ब्रीफकेस खोला और करीब 200 पन्नों का ढेर लगा दिया जिसमें कई वीआईपी की टेलीफोन बातचीत का रिकॉर्ड दर्ज था. वैसे मुझे सारे दस्तावेज उतने विस्फोटक नहीं लगे लेकिन उनमें से कुछ कागजों में मेरे और अटल बिहारी वाजपेयी से हुई बातचीत का ब्यौरा था. मुझे तब और हैरानी हुई जब इन दस्तावेजों में विपक्षी नेताओं के साथ-साथ कई नामी पत्रकार और ज्ञानी जैल सिंह जैसे प्रतिष्ठित हस्तियों की बातचीत भी रिकॉर्ड थी.
अपने ब्लॉग में आडवाणी ने फोन टैपिंग की कई घटनाओं का जिक्र किया है. आडवाणी लिखते हैं कि 25 जून 1985 को आपातकाल की दसवीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे बताया कि उनके और मरे फोन पर नजर रखी जा रही है.
आडवाणी यहीं नहीं रुके. उन्होंने लिखा है कि 1996 में जब देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे उस समय पूर्व गृह मंत्री एस बी चव्हाण की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने उनसे शिकायत की थी कि पी वी नरसिंह राव और कई अन्य कांग्रेसी नेताओं के फोन टेप किए जा रहे हैं जो उत्तरप्रदेश सरकार करवा रही है.
आडवाणी ने लिखा है कि फोन टैपिंग की घटना को रोकने के लिए नया कानून बनाने की जरूरत है ताकि आम नागरिकों की प्राइवेसी बनी रहे. बीजेपी नेता ने ब्रिटेन की ब्रिकेट समिति की तर्ज पर एक संसदीय समिति गठित करके बेकार हो चुके भारतीय टेलीफोन अधिनियम 1885 को समाप्त कर नया कानून बनाने की वकालत की है.