दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से उस जनहित याचिका पर जवाब देने को कहा है, जिसमें टेलीफोन कॉल की टैपिंग पर कानूनी प्रावधानों को निरस्त करने की मांग की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि इसका अंधाधुंध इस्तेमाल मौलिक अधिकारों का हनन है.
याचिका में उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करके अवैध तरीके से धड़ल्ले से की जा रही फोन टैपिंग की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है.
दूरसंचार मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के महानिदेशक और गृह मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी कर मुख्य न्यायाधीश डी मुरुगेसन और न्यायमूर्ति वी के जैन ने उनसे 22 मई तक जवाब देने को कहा.
अदालत अधिवक्ता एस के रुंगटा के जरिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकारी तंत्र लोगों के टेलीफोन को टैप करने का आदेश जारी करते वक्त उच्चतम न्यायालय के मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता है.
जनहित याचिका में कहा गया है, ‘टेलीफोन को टैप करने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए जाने वाले आदेश हमेशा यांत्रिक और पारंपरिक होते हैं जिसे एक समूह में एक और सभी आरोपों के लिए कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं को लागू किए बिना जारी कर दिया जाता है.'
याचिका में यह भी कहा गया है, ‘सरकारी तंत्र द्वारा अवैध तरीके से अंधाधुंध टेलीफोन टैपिंग को रोकने के लिए एक आदेश दे. इसकी वजह से संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन होता है.'