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एक प्रत्याशी के दो जगहों से चुनाव लड़ने के मामले पर SC ने अटॉर्नी जनरल से मांगा सहयोग

आयोग के मुताबिक ये प्रस्ताव इसलिए दिया गया था कि दोनों जगहों से एक प्रत्याशी के जीतने की स्थिति में उसे एक सीट खाली करनी पड़ती है और वहां दोबारा चुनाव पर अतिरिक्त खर्च के साथ मानव संसाधनों पर भी बोझ भी बढ़ता है. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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दो जगहों पर एक प्रत्याशी के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से सहयोग मांगा है.

बता दें कि इस मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस बारे में दो बार आयोग की ओर से प्रस्ताव किया था. आयोग के मुताबिक ये प्रस्ताव इसलिए दिया गया था कि दोनों जगहों से एक प्रत्याशी के जीतने की स्थिति में उसे एक सीट खाली करनी पड़ती है और वहां दोबारा चुनाव पर अतिरिक्त खर्च के साथ मानव संसाधनों पर भी बोझ भी बढ़ता है.  

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका की प्रति अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को उपलब्ध कराने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने वेणुगोपाल को इस मामले में कोर्ट का सहयोग करने के लिए कहा है.  

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याचिका में कहा गया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर एक से ज़्यादा सीटों पर किसी प्रत्याशी के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई पार्टियों के दिग्गज पूर्व में एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़कर चुनाव जीत चुके हैं. बीते लोकसभा चुनाव में मोदी ने उत्तर प्रदेश में वाराणसी और गुजरात मे वडोदरा लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों जगह से ही जीत हासिल की थी. बाद में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी.  

कानून के मुताबिक कोई भी प्रत्याशी एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकता है. ये प्रत्याशी बेशक दो सीटों पर चुनाव जीत जाए लेकिन चुनाव के बाद उसे सिर्फ एक ही सीट रखनी होती है, दूसरी सीट से इस्तीफा देना होता है. खाली हुई सीट पर चुनाव आयोग छह महीने के भीतर उपचुनाव कराता है.

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