बिजली उत्पादन के लिए अडानी और एस्सार समूह की कंपनियों के विदेशों से आयात किये उपकरण और ईंधन के दामों में धांधली के मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने यह नोटिस, दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जारी किया है. इन याचिकाओं में इस कथित धांधली की जांच सीबीआई की एसआईटी से कराने की मांग की गई है.
दिल्ली हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार के अलावा डीआरआई यानी राजस्व गुप्तचर निदेशालय से पूछा है कि निदेशालय ने इस धांधली के मामले में अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं. कोर्ट ने डीआरआई को भी हलफनामा दायर करने के लिये कहा है. हाइकोर्ट ने अब इन याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 7 फरवरी 2018 की तारीख तय की गई है.
डीआरआई ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कई फर्मों के खिलाफ चल रही जांच पूरी होने वाली है और मामले की जांच से जुड़े अधिकारी जल्द ही इस पर फैसला सुनाएंगे. कोर्ट में लगाई गई जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि एस्सार और अडानी की बिजली उत्पादन कंपनियों ने विदेशों से आयात किए उपकरणों और ईंधन की खरीद को ऊंचे दामों पर दिखाया और उससे मिलने वाले काले धन को विदेशों में ठिकाने लगा दिया. डीआरआई ने कुछ समय पहले ही बिजली उत्पादन कंपनियों द्वारा विदेशों में हजारों करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग का खुलासा किया था.
याचिकाओं में ये भी कहा गया है कि ज्यादातर कंपनियां एक ही तरह से धांधली करती हैं. कंपनियां विदेशों से कोयला सीधे भारत मंगाने के लिए पहले उन कंपनियों को कोयला भेजती हैं, जिन पर इन समूहों का अधिकार है और उसके बाद भारत मंगाती हैं. इससे दस्तावेजों में इस ईंधन की कीमत बढ़ जाती है. सीबीआई ने डीआरआई के कारण बताओ नोटिस के आधार पर 2014 में प्रारंभिक जांच शुरू की थी, लेकिन रंजीत सिन्हा के कार्यकाल में एफआईआर दर्ज किए बिना ही इसे बंद कर दिया गया.