जब सपने उड़ान भरते है तो उनकी कोई सीमा नही होती. मिर्जापुर जिले के एक गांव की पिंकी ने लॉस एंजिल्स में ऑस्कर हासिल कर मुकम्मल मुस्कान हासिल कर ली.
गांव से ऑस्कर के रेड कारपेट तक का सफर पिंकी के लिए किसी परीकथा जैसा ही है. कभी अपने कटे हुए होठ और तालू की वजह से पिंकी का मजाक उड़ाते थे बच्चे. लेकिन एक ऑपरेशन के बाद उसकी मुस्कुराहट दुनिया भर में मशहूर हो गयी.
पिंकी की असल जिंदगी पर आधारित फ़िल्म 'स्माइल पिंकी' को ऑस्कर अवार्ड के लिए अन्तिम चार में शामिल किया गया. पिंकी के साथ उसका इलाज करने वाले डॉक्टर भी अमेरिका के लिए रवाना हुए. स्माइल ट्रेन संस्था से जुड़े इन डॉक्टर ने कई बच्चों की जिंदगी में खुशियां बिखेरी हैं लेकिन आज पिंकी की वजह से उनके चेहरे पर भी मुस्कान है. पिंकी के पिता राजेन्द्र सोनकर भी उसके ऑस्कर अवार्ड समारोह में पहुंचे हैं.