जमीन से कई किलोमीटर नीचे खदान में नई तकनीक से कोयले का तेल निकाला जाएगा. जिसमें जमीन के अंदर ही गैस, तेल, मिट्टी और राख अलग हो जाएगी. कोयला बाहर निकाल लिया जाएगा. तेल अलग से निकलेगा और राख वहीं रह जाएगी. इस तरह नई सदी में नई तकनीक से मिलने वाला स्वच्छ ईंधन ना केवल पर्यावरण के अनुकूल होगा बल्कि पेट्रोलियम पर निर्भरता भी कम होगी.
जेनरेशन माइनिंग और फ्यूल इंडस्ट्रीज के नए आयामों पर शुक्रवार को हुई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में नई तकनीकों पर जमकर चर्चा हुई. दुनिया भर से माइनिंग और नई पीढ़ी के ईंधन पर शोध कर चुके आठ सौ से ज्यादा वैज्ञानिकों ने इसमें हिस्सा लिया. काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी सीएसआईआर की ओर से हुई इस कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह में ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मोनोपोली की वजह से अब तक कोल कंपनियां घटिया दर्जे का कोयला बिजलीघरों को भेज रही थीं. इससे बिजली उत्पादन कम और प्रदूषण ज्यादा होता था. लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आया है.
उन्होंने कहा कि नई तकनीक से निकाले जा रहे कोयले में राख और मिट्टी का हिस्सा खदान के अंदर ही छोड़ा जा रहा है. इससे कोयला बेहतर किस्म का आता है और कम प्रदूषण करने वाला होता है. यही वजह है कि दस साल पहले के मुकाबले देश कोयले और बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है.
पीयूष गोयल ने कहा कि रिसर्च और डवलपमेंट के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी. कई कोयला खदानों में कोयले के साथ ज्वलनशील गैस की भी मात्रा और गुणवत्ता अच्छी है. उसकी कीमत भी बेहतर मिल रही है. उन्होंने कहा कि नई तकनीक से गैस को स्टोर करने में कामयाबी मिली है. अब खदान में कोयला और गैस अलग निकालकर देश को नई समृद्धि दी जा रही है.