ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल का दावा है कि तीन साल बाद देश में 70 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन शुरु हो जाएगा. प्रधानमंत्री को दिए अपने प्रजेंटेशन के दौरान गोयल ने बिजली की व्यवस्था दुरुस्त करने और 24 घंटे घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए अपना प्लान बताया.
चुनाव प्रचार के दौरान बिजली कटौती को नरेंद्र मोदी ने बड़ा मुद्दा बनाया था. देश भर में घूम-घूम कर गुजरात मॉडल का गुणगान किया था. 24 घंटे बिजली देने का वादा किया था. जनता ने मोदी के वादे पर भरोसा किया. उन्हें छप्परफाड़ बहुमत दिया. अब वक्त वादा पूरा करने का है. मोदी के ऊर्जा मंत्री बिजली की हालत दुरुस्त करने में जुट गए हैं. इसी सिलसिले में उन्होंने शुक्रवार को प्रधानमंत्री से मिलकर अपना एक्शन प्लान पेश किया. सूत्रों के मुताबिक पीयूष गोयल ने मोदी के सामने देश में बिजली समस्या को दूर करने के लिए जो प्रेजेंटेशन दिया, उसमें कहा गया है कि हर घर तक बिजली पहुचाने का वादा बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में किया था और इसे पूरा करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम करने की जरुरत है. ऊर्जा मंत्री के एक्शन प्लान में सबसे पहला नंबर पॉवर सेक्टर के रिफॉर्म का है.
ऊर्जा मंत्री के मुताबिक उनका मंत्रालय पावर सेक्टर में रिफॉर्म और रिस्ट्रक्चर पर जोर देगा. इसमें सबसे पहले देश भर में बिजली डिस्ट्रीब्यूशन में प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने की योजना बनाई गई है. हालांकि प्रेजेंटेशन में कहा गया है कि प्राइवेट सेक्टर को शामिल करते हुए इस बात पर ध्यान देने की बेहद जरुरत है कि कंपनियों के साथ बिजली की खरीदारी को लेकर जो एग्रीमेंट हो उसमें पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाए. इसके अलावा देश भर में बहुत से पावर प्लांट बंद पड़े हैं. उन्हें फिर से चालू करने पर भी जोर दिया जाएगा. साथ ही ऐसे प्लांट जो अपनी क्षमता से कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं, उसकी क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.
अभी कुछ दिन पहले कोयले की वजह से बिजली कंपनियों पर बड़ा संकट आ गया था. कहा ये गया था कि कोयले की कमी की वजह से उत्तर भारत में ब्लैक आउट हो सकता है. इस तरह की मुसीबत को भविष्य में रोकने के लिए भी ऊर्जा मंत्री ने प्लान पेश किया. सूत्रों के मुताबिक उन्होने प्रधानमंत्री से कहा कि सरकार इस बात का ख्याल रखेगी की अगर कोई बिजली कंपनी अपने हिस्से का पूरा कोयला इस्तेमाल नहीं कर पाती है तो वो बाकी का कोयला कोल इंडिया को बेच सके ताकि उस कोयले का इस्तेमाल कहीं और पर किया जा सके. इसके अलावा ऊर्जा मंत्री ने अपने प्रेजेंटेशन में राज्यों की बिजली कंपनियों के कायाकल्प की भी बात कही. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि सभी राज्यों में बिजली के विभागों में बंटवारा किया जाए. बिजली के जेनरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसमिशन के लिए अलग अलग विभाग बनाए जाएं और सभी विभागों को उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की जाए.
प्रधानमंत्री को अपना प्रजेंटेशन पेश करने से पहले ऊर्जा मंत्री ने एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स से भी मुलाकात की. इस बैठक में अनिल अंबानी, गौतम अडानी, नवीन जिंदल जैसे बड़े उद्योगपति भी शामिल थे.