पीयूष गोयल की अगुवाई में भारतीय रेलवे पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार पर खास ध्यान दे रहा है. मार्च 2021 तक 10,000 किलोमीटर के रूट पर शामिल ट्रेनों की स्पीड बढ़ाकर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा करने की तैयारी है. गोल्डन क्वाडिलेटरल/ डायगोनल्स के 9,893 किलोमीटर रूट को 130 किलोमीटर/घंटे की स्पीड में अपग्रेड किया जाएगा.
वहीं, अब तक 1,442 रूटों पर चलने वाली ट्रेनों की स्पीड बढ़ाकर 130 किलोमीटर/घंटा कर दी गई है. इस तरह गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल/ डायगोनल्स रूट के 15 प्रतिशत ट्रनों की स्पीड को अपग्रेड कर 130 किलोमीटर प्रति घंटा किया जा चुका है.
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हाल ही में साउथ-सेंट्रल रेलवे के तहत आने वाले चेन्नई-मुंबई रूट पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों के दौड़ने का सफल ट्रायल किया था. अभी तक राजधानी और शताब्दी ट्रेनें ही इस स्पीड से दौड़ती थीं. यह ट्रैक रेलवे के गुंटकल डिविजन के अंतर्गत आता है.
इस रूट पर 80 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर ट्रेन की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा रही. यह रूट गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल के अंतर्गत आता है, जो चेन्नई-मुंबई दिल्ली कोलकत्ता-चेन्नई तक है. इस पूरे रूट की लंबाई 9,893 किलोमीटर है. इस पूरे रूट की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा करने की तैयारी है.
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वहीं, रेलवे ने मिशन रफ्तार के तहत ट्रेनों की लेटलतीफी को सुधारने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. इसके तहत 24 कोच वाली ट्रेनों को 130 किलोमीटर प्रति/घंटा की स्पीड से चलाया जाएगा. इसके लिए उत्तर रेलवे शुक्रवार से तीन दिनों तक इस योजना की ट्रायल करेगी. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, इससे यात्रियों का सफर के दौरान हर रूट पर 10 से 30 मिनट तक समय की बचत होगी.
इस ट्रायल के दौरान यह देखा जाएगा कि अगर 24 कोच के साथ ट्रेन को 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से चलाया जाएगा, तो ट्रैक में किस तरह का कंपन होगा और इससे कोई परेशानी तो नहीं होगी. इस ट्रायल के बाद तय हो जाएगा कि इन रूटों पर 24 कोच वाली ट्रेनों को 130 किलोमीटर/प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाया जा सकेगा या नहीं.