उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में गुरुवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ था. मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर स्कूल वैन (टाटा मैजिक) ट्रेन की चपेट में आ गई थी. जिस हादसे में 13 बच्चों की मौत हो गई थी. हादसे के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गयी, जिसमें देशभर के रेल मंडलों से मानव रहित रेलवे क्रॉसिंगों को मिशन मोड से हटाने को लेकर चर्चा की गयी.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'देशभर से मानव रहित रेलवे क्रॉसिंगों को हटाने को लेकर बैठक में बहुआयामी रणनीतिक चर्चाएं की गयीं. जिनमें क्रॉसिंगों पर रेल मित्र लगाने, परिवर्तित मार्ग बनाने, अंडर-ब्रिज और ओवर-ब्रिज बनाने जैसे पहलुओं पर विचार-विमर्श किए गए.'
साथ ही मानव रहित कॉसिंग को हटाने के कार्य की प्रगति को ऑनलाइन माध्यम से वेबसाइट पर भी साझा करने की बात कही गई, जिससे कि कार्यों पर सार्वजनिक निगरानी रखी जा सके.
अधिकारी ने कहा कि 11 मंडल क्षेत्रों से मानव रहित क्रॉसिंग हटाने का लक्ष्य सितंबर 2018 तक का तय किया गया है, वहीं बाकि के 5 मंडलों के लक्ष्य भी जल्दी तय कर लिए जाएंगे.
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार मानव रहित क्रॉसिंग को हटाने में 4 वर्ष पहले के औसत से तुलना की जाए तो अभी दो-तिहाई ज्यादा रफ्तार से काम हो रहा है. अब पूरे देश में बड़ी लाइनों (Braud gauge) पर केवल 3479 मानव रहित रेल क्रॉसिंग रह गए हैं.
ड्राइवर की लापरवाही से हुआ हादसा
हालांकि हाल ही में हुए इस हादसे पर सरकार सफाई देती नजर आई और लापरवाही ड्राइवर के सिर डाल दी. रेलवे का कहना है कि, ये हादसा ड्राइवर की लापरवाही की वजह से हुआ है. क्रॉसिंग पर गेट मित्र मौजूद था, जिसने ड्राइवर को इशारा भी किया, लेकिन ड्राइवर के द्वारा इशारा नहीं देखा गया. वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि ड्राइवर ने ईयरफोन लगाया था, जिस वजह से उसे ट्रेन की आवाज नहीं सुनाई थी.
बदल गए दो मंत्री, लेकिन नहीं बदले बयान
गौरतलब है कि इससे पहले भी ऐसे हादसे होते रहे हैं. ठीक इससे मिलता जुलता हादसा यूपी के भदोही में 2016 के जुलाई माह में हुआ था. गौर करने वाली बात ये है कि उस वक्त भी रेलवे ने हादसे पर सफाई देते हुए इस बार की तरह ही बयानबाजी की थी और ऐसे वायदे भी किए थे. रेलवे का उस वक्त यही बयान था जो आज दिया जा रहा है. इस तरह से आप कह सकते हैं कि 2 साल, 2 हादसे और 2 रेल मंत्री बदलने के बाद भी रेलवे के बयान एक जैसे ही हैं.
क्या था भदोही हादसे के वक्त बयान?
जुलाई 2016 में उत्तर प्रदेश के भदोही में भी कुशीनगर जैसा हादसा हुआ था. उस वक्त मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग में तेज रफ्तार ट्रेन से स्कूली वैन टकरा गई थी, जिसमें 8 बच्चों की मौत हो गई थी. इसके बाद तब के रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्वीट कर हा था कि, गेट मित्र ने ड्राइवर को रोकने की कोशिश की थी लेकिन ड्राइवर ने उसकी चेतावनी को अनसुना किया, जिस वजह से ये हादसा हुआ.
Gate Mitra was available at the time of accident but sadly van driver ignored his warning which resulted in this sad incident 2/3
— Suresh Prabhu (@sureshpprabhu) July 25, 2016
एक जैसे हादसे-एक जैसी थ्योरी
इन दोनों हादसों (कुशीनगर और भदोही) में काफी समानताएं हैं. जैसे दोनों ही मामलों में स्कूल वैन ट्रेन की चपेट में आई है. इतना ही नहीं शुरुआती जांच में भी दोनों ही मामलों में एक ही जैसी थ्योरी को सामने रखा गया रहा है. जिसके मुताबिक, मानव रहित फाटक पर गेट मित्र मौजूद था. साथ ही ड्राइवर ने ईयरफोन लगाया था, जिस वजह से वो ट्रेन की आवाज नहीं सुन सका.