कोयला खदान अावंटन में गड़बड़ियों की सीबीआई जांच तेजी से कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि 1998 में सेंट्रल कोलियरीज कंपनी लिमिटेड को टकली जेना बोलेरा की खदान बिना रजिस्ट्रेशन के ही आवंटित कर दी गई थी. उस वक्त नवीन पटनायक केंद्र में खनन और खदान मंत्री थे. इस बाबत सीबीआई पटनायक से पूछताछ भी कर चुकी है.
याचिका के मुताबिक, पूछताछ हुए भी सालों बीत चुके हैं. लिहाजा अब इस मामले में जांच पूरी कर रिपोर्ट दी जा सकती है. अब सीबीआई के पास रिपोर्ट देने में देरी करने की कोई वजह भी नहीं है. याचिका में कहा गया है कि पहले ही इस मामले में काफी देर हो चुकी है. लिहाजा कोर्ट सीबीआई को जांच जल्द पूरी कर रिपोर्ट देने का आदेश दे. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही सीबीआई जांच को लेकर कॉमन कॉज की तरफ से वैभव वर्मा ने याचिका डाली है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि सीबीआई को आदेश दिया जाए कि 26 मार्च 2014 को दर्ज इस मामले की फाइल पूरी नोटिंग के साथ कोर्ट के सामने लाए, ताकि ये पता चल सके कि आखिर पांच साल बीत जाने के बावजूद देरी क्यों हो रही है?
मुंबई के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज दफ्तर के मुताबिक जिस कंपनी को खदान का आवंटन 1998 में हुआ उसका रजिस्ट्रेशन साल भर बाद जनवरी 1999 में हुआ. याचिका के मुताबिक इस मामले में फर्जी, अापराधिक तौर पर अमानत में खयानत यानी भरोसा तोड़ने और तय नीति के खिलाफ खुले बाजार में कोयला बेचने जैसे गंभीर आरोप हैं. इस मामले में नवीन पटनायक से सीबीआई 25 नवंबर 2017 को पूछताछ भी कर चुकी है. यानी पूछताछ को सवा साल से ज्यादा हो चुके हैं.