दागी नेताओं पर आए अध्यादेश पर मतभेद उभरने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए प्रेसिडेंट सोनिया गांधी पहली बार बुधवार सुबह राजघाट पर एक साथ्ा देखे गए. दोनों ने यहां महात्मा गांधी को उनके 144वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि अर्पित की. राहुल गांधी श्रद्धांजलि देने राजघाट नहीं पहुंचे.
हालांकि सोनिया और मनमोहन में यहां तल्खी देखी गई. दोनों अलग-अलग बैठे रहे और उनमें कोई बातचीत भी नहीं हुई. मनमोहन सिंह तो राजघाट पर देर तक बैठे रहे लेकिन सोनिया वहां से कुछ ही देर में चली गईं.
इसके बाद बुध्ावार सुबह प्रधानमंत्री की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई. बैठक करीब 25 मिनट तक चली. इस दौरान राहुल ने अध्यादेश पर अपना पक्ष प्रधानमंत्री के सामने रखा. राहुल का पक्ष जानने के बाद पीएम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके द्वारा उठाए गए सवालों पर कैबिनेट में चर्चा होगी.
आपको बता दें कि राहुल ने दागियों के चुनाव लड़ने संबंधी अध्यादेश को 'बकवास' बताया था. जिसके बाद से ही कांग्रेस और सरकार के बीच मतभेद की खबरें आने लगी थीं. कैबिनेट के फैसले पर राहुल के विरोध जताने के तरीके पर मनमोहन सिंह ने नाराजगी जताई थी. हालांकि पीएम के अमेरिका दौरे के दौरान ही पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद मनमोहन सिंह से फोन पर बात करके भरोसा जताया था कि पार्टी उनके साथ है.
हालांकि पीएम की नाराजगी उस वक्त जगजाहिर हो गई जब स्वदेश लौटने पर प्रधानमंत्री ने मंगलवार को कहा कि वह राहुल से मिलकर इस मुद्दे पर तह तक जाने की कोशिश करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने विरोध जताने के लिए ये तरीका क्यों चुना.