बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की नई टीम को लेकर देश की सियासत लगातार उबाल खा रही है. हालिया घटनाक्रम से ऐसा लग रहा है कि बीजेपी गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को अगले चुनाव में पीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश कर सकती है. दूसरी ओर, जेडीयू की भूमिका उनकी राह में 'रोड़ा' बनने जैसी साबित हो सकती है.
बीजेपी का एक धड़ा जहां नरेन्द्र मोदी को संसदीय दल में शामिल करने को उनके प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के रूप में देख रहा है, वहीं एनडीए के मुख्य सहयोगी जेडीयू ने कहा है कि केवल धर्मनिरपेक्ष छवि के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनना चाहिए.
यह पूछने पर कि क्या मोदी को संसदीय बोर्ड में शामिल करना उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जाने का संकेत है, तो जेडीयू बिहार इकाई के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ‘इस बारे में जेडीयू नेतृत्व के रुख से हर कोई परिचित है. हमारा मानना है कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की छवि धर्मनिरपेक्ष होनी चाहिए ताकि देश के विभिन्न समुदाय के लोगों को वह साथ लेकर चल सके.’
बहरहाल कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी को बोर्ड में शामिल करना बीजेपी का ‘अंदरूनी मामला’ है. पटना में उन्होंने कहा, ‘यह राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का अंदरूनी मामला है.’
दिल्ली में जेडीयू के प्रमुख शरद यादव ने कहा कि नई टीम के साथ उन्हें कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, ‘इसके साथ मुझे कोई समस्या नहीं है.’ भविष्य के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘कौन जानता है कि कल क्या होगा.’ कुमार ने कहा कि विकास का ‘बिहार मॉडल’ देश के विकास के लिए एकमात्र मार्गदर्शक मंत्र है.
गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी की नई टीम का एलान किया गया है. प्रधानमंत्री पद के लिये पार्टी के प्रबल दावेदार माने जा रहे नरेंद्र मोदी की 6 साल बाद पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई संसदीय बोर्ड में वापसी हुई है.
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी पदाधिकारियों की नई टीम की घोषणा की. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इन्हीं राजनाथ सिंह ने अपने पहले अध्यक्षीय कार्यकाल में मोदी को संसदीय बोर्ड से हटा दिया था. लेकिन अब के बदले हालात में उन्हें मोदी को वापस लाना पड़ा.