विधानसभा चुनाव में हार, आम आदमी पार्टी की कामयाबी और आने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनज़र सरकार की बैचैनी बढ़ती जा रही है. घोटालों के आरोपों से घिरी सरकार ये बताना चाहती है कि उनके हिस्से में कुछ उपलब्धियां भी हैं. इन्हीं उपलब्धियों को गिनाने के लिए मनमोहन सिंह आज मीडिया से मुखातिब होंगे.
17 जनवरी को एआईसीसी की बैठक में राहुल को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने की अटकलें जोरों पर हैं. इस बीच तकरीबन 10 सालों से प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाल रहे मनमोहन सिंह मीडिया से मुखातिब होंगे.
कांग्रेस पार्लियामंट्री पार्टी की बैठक में सोनिया की मौजूदगी में ही प्रधानमंत्री ने अपने 10 सालों की उपलब्धियों की बुकलेट कांग्रेसी सांसदों को दी थी. कहा था कि उपलब्धियों का प्रचार प्रसार करिए. लेकिन 4 राज्यों की करारी हार भ्रष्टाचार और महंगाई के मुद्दे ने कांग्रेस पार्टी को ही नहीं प्रधानमंत्री को भी बैकफुट पर ला दिया है.
दरअसल मनोनित प्रधानमंत्री कहे गये मनमोहन सिंह में अब खुद कांग्रेस को भविष्य नहीं दिखता, यही वजह है कि राहुल गांधी को आगे किये जाने की कवायद तेज हो चुकी है. वैसे तो प्रधानमंत्री अपनी उपलब्धियां गिनवाएं लेकिन यहां उनके सामने कांग्रेस सांसद नहीं पत्रकार होंगे, जिनके तीखे सवालों से प्रधानमंत्री को रू-ब-रू होना होगा.
राहुल को कभी अपनी कैबिनेट में शामिल करने की बात हो या फिर उनका गाइड बनने की बात, हमेशा तैयार दिखे मनमोहन सिंह इस बार क्या बोलते हैं इस पर नज़र रहेगी.
एनडीए और यूपीए के विकास की तुलना करके पीएम यूपीए को मीलों आगे बताते रहे हैं लेकिन 4 राज्यों में हार और दिल्ली में आम आदमी पार्टी के उदय की कहानी शायद उनको भी परेशान किया है. तभी तो वो आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कह चुके हैं कि हमें ऐसे वादे नहीं करने चाहिए जिन्हें हम पूरा न कर सकें. लेकिन मुख्य विपक्षी दल बीजेपी का यही मानना है कि असली कमान तो पीएम के हाथ में कभी रही ही नहीं.
कांग्रेसी गलियारों में माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह की सियासी पारी अब आखिरी दौर में है भविष्य की दशा, दिशा रणनीति और चेहरा नए सिरे से गांधी परिवार को तय करना है. इंतज़ार कीजिए क्योंकि मीडिया से कम ही मुखातिब होने वाले मनमोहन सिंह सियासी पिच पर कैसे बैंटिंग करते हैं.