प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार(17 सितंबर) को 69 साल के हो गए. अब उन्होंने जीवन के 70 वें साल में प्रवेश किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2019 में आने वाला यह जन्मदिन इस मायने में भी खास है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में दोबारा प्रचंड बहुमत से उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. सत्ता के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कई चुनौतियां भी हैं. 370, तीन तलाक जैसे वादों को इस साल पूरा करने में पीएम सफल रहे हैं. वहीं अगले साल भी चुनाव से लेकर अन्य तरह की चुनौतियां उनके सामने खड़ी होंगी.
अर्थव्यवस्था बनी रहेगी चुनौती
इस वक्त देश की अर्थव्यवस्था सुस्ती का शिकार है. मोदी सरकार पर विपक्ष अर्थव्यवस्था की मंदी को लेकर घेराबंदी कर रहा है. ऐसे में अगले साल पीएम मोदी के सामने इस अर्थव्यवस्था को भी दुरुस्त रखने की चुनौती होगी. साथ ही पीएम मोदी ने 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का आकार देने का वादा किया है. नए साल में इस दिशा में भी काम करने की चुनौती होगी.
दिल्ली और बिहारः क्या बराबर होगा हार का हिसाब
दिल्ली और बिहार विधानसभा का अगले साल कार्यकाल खत्म हो रहा है. नए साल में इन दोनों राज्यों में भी चुनाव होगा. इन दोनों राज्यों का चुनाव इसलिए भी पीएम मोदी के लिए अहम हैं कि यहां उनका जादू नहीं चल सका था. दोनों राज्यों में हुए चुनावों में बीजेपी व एनडीए को करारी हार का सामना करना पड़ा था.
यह दीगर बात है कि बाद में नीतीश कुमार के एनडीए का हिस्सा बन जाने के कारण हार के बावजूद बीजेपी गठबंधन के दम पर बिहार में सत्ता में पहुंची. ऐसे में 2020 के विधानसभा चुनाव में अपने चेहरे के दम पर बीजेपी की जीत सुनिश्चित करना मोदी के लिए चुनौती है.
जम्मू-कश्मीर की चुनौती
देश में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा ऐसा रहा है, जो किसी भी सरकार के लिए हर साल चुनौतीपूर्ण रहा है. चूंकि मोदी सरकार ने ऐतिहासिक रूप से जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को पांच अगस्त को हटाने का फैसला लिया. जिसके बाद से घाटी में उपद्रव की आशंका पर नेताओं की नजरबंदी, इंटरनेट पर पाबंदी आदि उपाय लागू किए गए हैं. जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है. वहीं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग कर केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला हुआ है. ऐसे में परिसीमन होगा. फिर राज्य का चुनाव भी होना है. ऐसे में पीएम मोदी के लिए नए साल में कश्मीर का मुद्दा ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा.