प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन मेक इन इंडिया को लॉन्च कर दिया है. मेक इन इंडिया का मकसद देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना है. लॉन्च के लिए आयोजित कार्यक्रम में देश और दुनिया की कारोबार जगत की नामचीन हस्तियों ने शिरकत की.
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा...
जब पिछली सरकार के दौरान बिजनेसमैन देश छोड़कर जाने की बात करते थे तो बहुत दुख होता. ये बताने के पीछे मेरा कोई राजनीतिक मकसद नहीं है. लेकिन हकीकत यही है कि मुझे दुख होता था. हमें विदेश पलायन की स्थिति को बदलना है. मैं नहीं चाहता कि उद्योगपति देश छोड़कर बाहर जाएं. देश का आर्थिक माहौल बिगड़ गया था. उद्योगपति डरते थे कि सीबीआई आ जाएगी. यह सही है कि देश में कानून का राज होना चाहिए. पर उद्योग जगत का सरकार पर भरोसा होना भी जरूरी है. हम विश्वास के आधार पर सरकार चलाना चाहते है.
उद्योग जगत के लिए एफडीआई एक बेहतरीन अवसर है. विदेशी निवेशकों के लिए भारत एक अवसर की तरह है. वहीं हरेक नागरिक की जिम्मेदारी भी FDI है. मेरे लिए इसका मतलब है ... फर्स्ट डेवलप इंडिया.
पूरे विश्व के लिए बाजार बढ़ेगा. ऐसा तभी संभव हो सकेगा, जब हम गरीब को रोजगार के अवसर देंगे. रोजगार मिलेगा तभी तो क्रय क्षमता बढ़ेगी.
मेक इन इंडिया का मकसद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में विकास तो है ही, साथ ही इसका सीधा लाभ गरीब जनता को मिले. सिर्फ छूट देने से उद्योग फलता-फूलता नहीं. इसके लिए माहौल तैयार करना होगा और यही सरकार की जिम्मेदारी है. निवेशकों को लिए उनके निवेश के सुरक्षित होने का एहसास कराना है. वह बाद में विकास खोजता है. हमारी सरकार का प्रयास यही है कि आपका पैसा डूबे नहीं.
सरकार होने से काम होता नहीं है, सरकार होने का एहसास होना चाहिए. मैं सिर्फ सुशासन की बात नहीं करता. मैं प्रभावी सुशासन की बात करता हूं. उद्योग लगाना है तो स्किल्ड मैन पावर चाहिए. मैनपावर भी जरूरत के अनुरूप होनी चाहिए. स्किल डेवलपमेंट से देश आगे बढ़ेगा. इस क्षेत्र में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने की जरूरत है.
भारत के नौजवान के टैलेंट पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. मिशन मार्स की सफलता इसका सबूत है. जैसे मैनिफैक्चरिंग की जरूरत है, उसी तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने की जरूरत है. इस इनफ्रास्ट्रक्चर से काम नहीं चहेगा. हमें हाइवे भी चाहिए तो हमें आई वे (इनफॉर्मेशन वे) भी चाहिए. यह डिजिटल इंडिया के लिए जरूरी है.
यह भारत जगत के लिए ऐतिहासिक दिनः मुकेश अंबानी
इस मौके पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रमुख मुकेश अंबानी ने कहा, 'यह भारतीय उद्योग जगत के लिए ऐतिहासिक दिन है. हम खुशनसीब है कि हमें नरेंद्र मोदी जी जैसा प्रधानमंत्री मिला. वो सपने देखते हैं और उसे पूरा करते हैं. और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं. हम ग्लोबल मार्केट में अपने शर्तों पर दूसरों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. हमें निवेश के लिए तैयार रहना चाहिए. मुझे पूरा भरोसा है कि हम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनेंगे. हम मेक इन इंडिया प्रोग्राम के लिए प्रतिबद्ध हैं. आने वाले 12-15 महीनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज सवा लाख नौकरियां देगी.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना साकार हुआ तो दुनिया के चाहे किसी भी कोने में आप जाएं, आपको 'मेक इन इंडिया सामान' मिलेगा. चाहे कार हो या बैग. दवा हो या कपड़ा. हर जगह नजर आएगा मेक इन इंडिया का लेवल.
सरकार चाहती है कि विदेशी कंपनियां भारत आएं और यहां निर्माण करें. बेशक वो अपने उत्पाद कहीं भी बेचने को स्वतंत्र हैं. इससे ना सिर्फ देश में पैसा आएगा बल्कि रोजगार के मौके भी पैदा होंगे. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई के नियमों में बदलाव किया और इसे काफी उदार बनाया.
कैसे पूरा होगा मेक इन इंडिया का सपना?
किसी भी उद्योग के लिए सबसे बड़ी बाधा होती है नीति और नियमन के नाम पर अड़ंगेबाजी. सरकार ने इसके लिए इन्वेस्ट इंडिया नाम का प्रकोष्ठ बनाया है, जो इस मामले में विदेशी निवेशकों का मार्गदर्शन करेगा. रेगुलेटरी मंजूरी दिलाने में भी ये मददगार साबित होगा. सरकार सभी नियामकीय प्रक्रियाओं पर खुद करीबी नजर रख रही है.
कारोबारियों की जिज्ञासा दूर करने के लिए makeinindia.com नाम से एक वेब पोर्टल के जरिए एक समर्पित प्रकोष्ठ भी बनाया है. इस पोर्टल को निवेशकों को अपने सामान्य सवालों का जवाब ढूंढ़ने में मदद मिलेगी. इससे जुड़ी सहायता टीम विशेष सवालों का जवाब 72 घंटे के अंदर देगी.
सरकार ने ऐसे 25 महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की है, जिनमें भारत विश्व स्तर पर अग्रणी बन सकता है. इनमें ऑटोमोबाइल, रसायन, सूचना तकनीक, दवा, कपड़ा, बंदरगाह, उड्डयन, चमड़ा, पर्यटन-हॉस्पिटैलिटी और रेलवे जैसे क्षेत्र शामिल हैं.