ऐसा माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने कैबिनेट फेरबदल के जरिए कई मंत्रियों को झटका दिया है. लेकिन असल में इस फेरबदल के पीछे पीएम मोदी नहीं बल्कि उनकी स्पेशल टीम का हाथ था. इस स्पेशल टीम ने सांसदों और मंत्रियों की रिसर्च की थी. कई मानकों के आधार पर नंबर दिए गए थे. हैरानी की बात यह है कि सिर्फ 10 मंत्रियों को ही सौ बट्टे सौ अंक मिले.
इसके तहत मंत्रियों और सांसदों को मतदाताओं के रुख, संसद में प्रदर्शन और मंत्रालय में काम के आधार पर नंबर दिए गए थे. सांसदों को अंक देने के लिए अनुशासन, जाति, विचारधारा को भी मानक बनाया गया था.
'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक टॉप मंत्रालयों को इस प्रक्रिया से दूर रखा गया था. पीएम मोदी और अमित शाह ने मिलकर यह फॉर्मूला तैयार किया था. आंकलन अमित शाह के नेतृत्व में किया गया था और इसमें राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी को शामिल नहीं किया गया.
स्मृति ईरानी का कद घटाकर सीधे यह संदेश दिया गया है कि पार्टी में अनुशासन को अव्वल स्थान दिया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि स्मृति ने कई बार प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस के सुझाए नामों को भी नजरअंदाज कर दिया था.
लोकसभा में बीजेपी के 282 सांसदों में से 165 ऐसे हैं जो पहली बार संसद पहुंचे हैं. ऐसा कहा जाता है कि देश में मोदी की लहर होने की वजह से इन्हें जीत मिली. रिसर्च करवाने का एक उद्देश्य इन सांसदों की जमीनी पकड़ का पता लगाना भी था.