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जेपी की जयंती पर PM मोदी ने आपातकाल को बताया लोकतंत्र का काला अध्याय

बिहार में चुनाव है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकी बार जयप्रकाश नारायण की जयंती पर एक कार्यक्रम का ही आयोजन कर डाला. फिर भाषण भी दिया.

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बिहार में चुनाव है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकी बार जयप्रकाश नारायण की जयंती पर एक कार्यक्रम का ही आयोजन कर डाला. फिर भाषण भी दिया. भाषण में जेपी के व्यक्तित्व की बातें कीं. आपातकाल की बातें कीं. बताया कि लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडीज को उन्होंने पहली बार करीब से आपातकाल के दौरान ही देखा था. तभी जेपी के पास जाने का मौका मिला. रविवार को जेपी की 113वीं जयंती मनाई गई.

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सरल जेपी के भीतर उबल रही थी ज्वाला
मोदी ने अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि जेपी बड़े सरल थे. उनकी आवाज धीमी ही रहती थी, लेकिन भीतर से उबलती हुई ज्वाला थी. देश में बदलाव लाने की. वे एक विचार से बंधे हुए नहीं थे. उन्हें चिंता नहीं थी कि दुनिया क्या कहेगी. जब जो सच लगा उसके लिए जी लिये.

सुनाया महिला का किस्सा
मोदी ने एक किस्सा सुनाया. कहने लगे- आपातकाल की घोषणा हो चुकी थी. मैं बस में सफर कर रहा था. एक महिला भी बस में चढ़ी और उसने टिकट लिया. कंडक्टर ने टिकट देकर उसे खुल्ले पैसे दिए. महिला ने कहा कि नोट बदल दो. कंडक्टर ने नोट को सही बताकर बदलने से मना कर दिया. महिला जिद पर अड़ी थी. झगड़ा हो गया तो मैंने दखल दिया. मैंने भी कहा कि नोट तो अच्छा है, रख लीजिए. उस महिला ने जो जवाब दिया, उसने मुझे लोकतंत्र की सबसे बड़ी प्रेरणा दी. उस महिला ने कहा कि मुझे जेपी के आंदोलन के लिए दान में एक रुपया देना है. इसलिए कड़क नोट चाहिए.

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आपातकाल से देश को नुकसान हुआ
मोदी ने कहा कि आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय है, इससे देश को बहुत नुकसान हुआ. लेकिन जेपी के आंदोलन ने देश में राजनेताओं की एक नई पीढ़ी को जन्म दिया. यह नेतृत्व टीवी स्क्रीन्स का नहीं था, बल्कि यह मुल्क के लिए जीने-मरने का नेतृत्व था. मोदी ने जेपी को ऑल पार्टी मैन बताते हुए कहा कि यही वजह थी कि वह देश में ऐसा बदलाव ला सके. मोदी ने कहा कि मीडिया को आपातकाल को भुलाना नहीं चाहिए.

बादल को बताया भारत का नेल्सन मंडेला
मोदी ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को भारत का नेल्सन मंडेला बताया. कार्यक्रम विज्ञान भवन में था. मोदी बोले- 'बादल साहब यहां बैठे हुए हैं. वह भारत के नेल्सन मंडेला हैं. वह इतने साल जेल में रहे हैं और वो भी राजनीतिक कारणों से. उनका कसूर क्या था. सिर्फ यही कि वह सत्ता से अलग विचार रखते थे.'

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