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संघ पर भारी पड़े PM नरेंद्र मोदी!

साल 2021 तक भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का ऐलान करने वाले धर्म जागरण समन्वय समिति के संयोजक राजेश्वर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया. ज़ाहिर तौर पर ये फैसला संघ का है. राजेश्वर सिंह उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने आगरा में 8 दिसंबर को धर्मांतरण कार्यक्रम आयोजित किया था. राजेश्वर को हटाये जाने के पीछे भले ही तबीयत खराब होने की बातें की जा रही हों लेकिन सत्ता और सियासी गिलयारों में इसके मायने कुछ अलग ही निकाले जा रहे हैं.

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सरकार की छवि खराब करने वालों पर मोदी की नज़रें टेढ़ी होने लगी हैं
सरकार की छवि खराब करने वालों पर मोदी की नज़रें टेढ़ी होने लगी हैं

साल 2021 तक भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का ऐलान करने वाले धर्म जागरण समन्वय समिति के संयोजक राजेश्वर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया. ज़ाहिर तौर पर ये फैसला संघ का है. राजेश्वर सिंह उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने आगरा में 8 दिसंबर को धर्मांतरण कार्यक्रम आयोजित किया था. राजेश्वर को हटाये जाने के पीछे भले ही तबीयत खराब होने की बातें की जा रही हों लेकिन सत्ता और सियासी गिलयारों में इसके मायने कुछ अलग ही निकाले जा रहे हैं.

केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद धर्मांतरण ऐसा पहला मुद्दा बना पर जिस पर मोदी को खामोशी अख्तियार करनी पड़ी. राजेश्वर सिंह सारे टीवी चैनलों पर 56 इंच जैसा सीना फूलाकर कर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने वाला बयान दे रहे थे. उधर, विपक्ष इस मामले पर संसद में सरकार को घेर रहा था. पूरा शीतकालीन सत्र इस हंगामें की भेंट चढ़ गया. सवालों से परेशान मोदी को बयानबाज़ी करने वाले मंत्रियों, सांसदों और पार्टी नेताओं को कड़ी हिदायत देनी पड़ी.

दरअसल, मोदी को इस बात का अहसास हो गया कि धर्मांतरण के मुद्दे पर सरकार की छवि कहीं ना कहीं धूमिल हो रही है. जनता और खासकर देश के अल्पसंख्य समुदाय में सरकार के प्रति विश्वास जगाना ज़रूरी हो गया. मोदी सरकार ने इसके लिये पहल करते हुये एक योजना बनाई. जिसकी कमान अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के हाथ है. नक़वी देश के अल्पसंख्यकों से मिलकर उन्हें बताएंगे कि केन्द्र सरकार की इस बारे में क्या सोच है. और लोगों से विकास के लिए धर्म और जाति से ऊपर उठने की बात करेंगे.

जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मामले को लेकर इतने गंभीर हैं तो ऐसे में राजेश्वर सिंह का अचानक से पद से हटा दिया जाना ऐसे ही नहीं हो सकता. यहां एक खास बात ये है कि संघ की तरफ से जो ख़बरें आ रही हैं वो साफतौर पर ये इशारा करती हैं कि मोदी संघ से नहीं बल्कि संघ अब मोदी से है. राजेश्वर सिंह को बाहर किये जाना इस बात का सबूत है कि पीएम मोदी संघ पर दबाव बनाने में कामयाब हुए हैं. वो ऐसे लोगों को पद से हटा देना चाहते हैं जो भगवा ब्रिगेड को फिर से पुराने एजेंडे पर लाने  की कोशिश कर रहे हैं.

अब चाहे संघ या बीजेपी के नेता कुछ भी कहें लेकिन मोदी का रुख साफ होने लगा है कि वो अब इस तरह की किसी बात को बर्दाश्त नही करेंगे जो उनकी सरकार के लिये परेशानी का सबब बने या फिर सरकार की छवि को खराब करे. इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि ये उन लोगों के खिलाफ मोदी की मुहीम की शुरुआत है जो लगातार अपने बयानों या कामों से सरकार के लिये कहीं ना कहीं परेशानी खड़ी करते आ रहे हैं. शायद ये एक संदेश भी है कि मोदी ही अब असली 'सरकार' हैं.

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