शनिवार शाम के कुछ घंटे प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारियों, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और असम के एक परिवार के लिए बहुत तनावपूर्ण गुजरे.
किडनी में खराबी से जूझ रही एक आठ दिन की नवजात बच्ची को आसाम के डिब्रूगंज से एयरलिफ्ट करके समय रहते दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती करवाया गया.
प्रधानमंत्री द्वारा ऐनमौके पर किए गए हस्तक्षेप की वजह से बचाव दल को दिल्ली हवाई अड्डे से गंगाराम अस्पताल तक ट्रैफिक फ्री पैसेज मिल पाया. सफलतापूर्वक अस्पताल पहुंचने के बाद पीड़ित बच्ची के माता-पिता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और दिल्ली पुलिस का एहसान वो जीवनभर याद रखेंगे.
मेल टुडे से बात करते हुए पीड़ित बच्ची के पिता ध्रुबज्योति कलिता ने कहा, 'हम पूरी तरह से निराश हो चुके थे. कई प्रभावशाली लोगों से हमने मदद की गुहार लगाई थी. यहां तक की दिल्ली पुलिस में तै नात IPS ऑफिसर जो कि नॉर्थ इस्ट से आते हैं उनसे भी हमने मदद की गुहार लगई थी लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा था. हमें मालूम नहीं था कि हमारी बच्ची के साथ क्या होगा. लेकिन तभी पीएम सामने आए और सब संभव हो गया.’ ध्रुबज्योति आगे बोले, ’आज वो हमारे लिए भगवान के रूप में सामने आए हैं.’
गंगाराम अस्पताल में बच्ची के इलाज में लगे डक्टरों ने रविवार को बताया कि अब बच्ची खतरे से बाहर है और धीरे-धीरे बेहतर हो रही है.
गुर्दे की गंभीर समस्या से जूझ रही बच्ची की जान बचाने के लिए डिब्रूगंज के डक्टर्स ने बच्ची को एयर ऐंबुलेंस के जरिय दिल्ली भेजने का फैसला किया. एयर ऐंबुलेंस को दिल्ली में शाम सात बजे लैंड करना था. दिल्ली की ट्रैफिक के हिसाब से यह ऐसा समय होता है जब सड़कों पर गाड़ियां रेंग रही होती हैं. ट्राफिक चरम पर होता है.
शनिवार शाम का पूरा घटनाक्रम.
दोपहर 1 बजे: डिब्रूगंज अस्पताल में ड्कटरों की जो टीम बच्ची की देख-रेख में लगी थी उनमें डा. भाष्कर पपुकोन गोगोई भी थे. डा. गोगोई ने इस संवाददाता से संपर्क किया और मदद मांगी. डा. गोगोई चाहते थे कि जब एयर ऐंबुलेंस दिल्ली पहुंचे तो उसे एयरपोर्ट से अस्पताल तक ट्रैफिक फ्री पैसेज मिल सके.
दोपहर 1:35 बजे: इस संवाददाता ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर(ट्रैफिक) अजय कश्यप और दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमुल्य पटनायक इस बाबत एक इमेल किया. संवाददाता ने इस मेल को प्रधानमंत्री के निजी इमेल पर भी भेजा. वाराणसी में अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे पीएम मोदी ने मेल का नोटिस लिया और अपने पीएम आफिस को इस बाबत सतर्क किया. प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिल्ली पुलिस से इस मामले में जल्दी से जल्दी जरूरी कदम उठाने को कहा.
अपराहन 4:30 बजे: दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की एक टीम पूरी तैयारी के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच गई. एयरकंट्रोल रूम ने कई नियमित फ्लाइट्स को रोककर एयर ऐंबुलेंस की लैंडिंग करवाई.
शाम 7:13 बजे: एयर ऐंबुलेंस दिल्ली में उतरा और बचाव दल ने एक ऐंबुलेंस की मदद से बच्ची को एक विशेष रास्ते से ऐयरपोर्ट से बहार निकाला. सड़क पर सारी तैयारी पहले ही हो चुकी थी. ऐंबुलेंस के लिए ट्राफिक फ्री पैसेज तैयार था. बचाव दल ने मात्र 13 मिनट में बच्ची को गंगाराम अस्पताल में दाखिल करवा दिया.
शाम 7:26 बजे: दिल्ली टीम ने पाया कि वैंटिलेटर (जिससे बच्ची को ऐंबुलेंस में लाइफ सपोर्ट मिला रहा था) अगले सात मिनट तक की काम कर पाएगा. अगर समय रहते बच्ची को अस्पताल में दाखिल नहीं करवाया जा सका तो मुश्किल हो सकती है.
हालांकि बच्ची को समय रहते गंगाराम अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया. पूरे घटनाक्रम पर बच्ची के पिता मेल टूडे से बोले, 'मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था जिस तरह से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की टीम ने हमें हवाई अड्डे से अस्पताल तक पहुंचाया. हम कुछ ही कर लें तो प्रधानमंत्री मोदी का और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का शुक्रिया अदा नहीं कर सकते.’
बीमार बच्ची के पिता ब्रह्मपुत्र कैकर और पॉलिमर प्राइवेट लिमिटेड, डिब्रूगंज में कार्यरत हैं और मां हिमाक्षी सहारिया प्राइमरी स्कूल टीचर हैं.