प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने 17 मिनट के भाषण में एक तमिल कवि का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने तमिल कवि कणियन पूकुन्रनार का नाम लेते हुए बताया कि उन्होंने कहा था कि यादम उरे, यावरुम केड़ीर यानी हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 3000 हजार साल पहले, भारत के एक महान कवि कणियन पूकुन्रनार ने लिखा था कि हम सभी स्थानों के लिए हैं और सभी अपने हैं. आइए जानते हैं कि कौन हैं कणियन पूकुन्रनार जिसका पीएम मोदी ने लिया नाम.
कणियन पूकुन्रनार की गिनती संगम एज के महानतम कवियों में होती है. वह तमिल कवि, गणितज्ञ और संगम युग के ज्योतिषी रहे हैं.संगम एज प्राचीन तमिलनाडु और केरल के इतिहास (तमिलनाडु के रूप में जाना जाता है) की अवधि है.
उनका जन्म तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के थिरुप्पुत्रु तालुक में एक ग्राम पंचायत महिबलानपट्टी में हुआ था. उन्होंने पुन्नानु और नट्रीनई में दो कविताओं की रचना की. उनकी प्रसिद्ध तमिल बोली 'यधुम ओरे यावरुम केलिर' वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संगठन में दर्शायी गई है. इसका अर्थ होता है कि हमारे पास हर जगह से संबंधित है और हर कोई हमारा अपना है.
क्या कहा पीएम मोदी ने
पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि आज से 3000 साल पहले तमिल कवि कणियन पूकुन्रनार ने कहा था, यादम उरे, यावरुम केड़ीर यानी हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं. यह तीन हजार साल पहले की बात है. देश की सीमाओं से परे अपनत्व की यही भावना भारत की विशेषता है.