प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्लोबल वार्मिंग पर पेरू में होने जा रही संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण बैठक से कुछ दिन पहले जलवायु परिवर्तन संबंधी उनकी अध्यक्षता वाले उच्चस्तरीय सलाहकार समूह का पुनर्गठन किया. पीएम ने पैनल में आरके पचौरी को बनाए रखा लेकिन, पर्यावरणविद् सुनीता नारायण और उद्योगपति रतन टाटा को हटा दिया.
रतन टाटा और सुनीता यूपीए शासन के समय 2007 में इस समूह में शामिल किए गए थे. जलवायु परिवर्तन संबंधी इस सलाहकार समूह की पिछले तीन साल से कोई बैठक नहीं हुई है. पुनर्गठित पैनल में सुनीता नारायण को जगह नहीं दिए जाने के सवाल पर पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अधिसूचना में यह प्रावधान है कि पैनल के अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) बैठक के संदर्भ को देखते हुए किसी भी मंत्री, अधिकारी या विशेषज्ञ को आमंत्रित कर सकते हैं.
उधर पैनल में अपनी जगह बनाए रखने वाले आरके पचौरी को आईपीसीसी की 2007 की रिपोर्ट को लेकर कई ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते हिमालय के ग्लेशियर 2035 तक विलुप्त हो जाएंगे.
‘द अनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ (टेरी) के प्रमुख पचौरी ने स्वीकार किया कि यह गलती ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है. पचौरी उस समय जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतरसरकारी पैनल के अध्यक्ष थे, जब इस संस्था को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले इस 18 सदस्यीय सलाहकार समूह में विदेश मंत्री और वित्त मंत्री सहित आठ मंत्री होंगे, जो जलवायु परिवर्तन के बारे में राष्ट्रीय स्तरीय पहलों में समन्वय स्थापित करेंगे.
पुनर्गठित समूह के सदस्यों में विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, पर्यावरण, वन्य व जलवायु परिवर्तन मंत्री, जल संसाधन, नदी विकास व गंगा पुनरुद्धार मंत्री, कृषि मंत्री, शहरी विकास मंत्री, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री, ऊर्जा और कोयला, अक्षय उर्जा राज्य मंत्री शामिल हैं. अन्य सदस्यों में कैबिनेट सचिव, विदेश सचिव, पर्यावरण, वन्य व जलवायु परिवर्तन सचिव, डॉ. आरके पचौरी, डॉ. नितिन देसाई, चन्द्रशेखर दासगुप्ता और अजय माथुर के नाम हैं.
---इनपुट भाषा से