विजय माल्या जैसे बड़े पूंजीपतियों द्वारा बैंकों का कर्ज नहीं चुकाए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार बयान दिया है. सोमवार को उन्होंने कहा कि कंपनियों से बैंकों के बकाए की वसूली के लिए सरकार और रिजर्व बैंक 'कड़े कदम' उठा रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने यहां ब्लूमबर्ग भारत आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, 'अब सिर्फ ऐसी कंपनियों की रेटिंग कम हो रही है जो बड़े आकार की हैं और जिन पर कर्ज का बड़ा बोझ है. सरकार और रिजर्व बैंक इस मामले में कड़े कदम उठा रहे हैं. ऐसा लगता है कि शायद इस वर्ग से उठने वाली आवाज ने मीडिया की सोच को प्रभावित किया है.'
एनपीए में हुआ इजाफा
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) पिछले साल मार्च में 2,67,065 करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर में 3,61,731 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. इस लिहाज से चालू वित्त वर्ष के नौ माह में एनपीए में 94,666 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई. पिछले साल मार्च में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए जहां 5.43 प्रतिशत था वहीं यह दिसंबर तक बढ़कर 7.30 प्रतिशत पर पहुंच गया.
नहीं चुकाया कर्जा तो होगी कार्रवाई
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी चेतावनी भरे लहजे में ऐसे बड़े औद्योगिक समूहों से कहा है कि या तो वह सम्मानजनक तरीके से बैंकों के बकाए कर्ज का भुगतान करें अन्यथा बैंकों और जांच एजेंसियों की ओर से कड़ी कारवाई के लिए तैयार रहें. जेटली ने कहा, 'व्यक्तिगत मामलों में मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं लेकिन मेरा मानना है कि उनके (विजय माल्या) जैसे बड़े समूहों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह सम्मानजनक तरीके से बैंकों के साथ बकाए का निपटारा करें.'
मौद्रिक नीति प्रणाली को मजबूत करने की कोशिश
प्रधानमंत्री ने कहा कि सितंबर के बाद बैंकों से कर्ज उठाव में अच्छी तेजी आई है. उन्होंने कहा, 'फरवरी 2015 और फरवरी 2016 के बीच ऋण उठाव 11.5 प्रतिशत बढ़ा है. कंपनियों को इक्विटी और उधार के जरिए देशी-विदेशी धन प्रवाह वर्ष 2015-16 की पहली तीन तिमाहियों में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है.' पीएम मोदी ने कहा कि सरकार मौद्रिक नीति प्रणाली को भी मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, 'पिछले साल हमने रिजर्व बैंक के साथ एक मौद्रिक नीति रूपरेखा ढांचे पर समझौता किया. इस साल हमने वित्त विधेयक में रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन पेश किया है.'
उन्होंने कहा कि इस संशोधन के तहत रिजर्व बैंक के पास मुद्रास्फीति लक्ष्य होगा और एक मौद्रिक नीति समिति के जरिए मौद्रिक नीति तय होगी. 'इस समिति में सरकार का कोई सदस्य नहीं होगा. इस सुधार के जरिए मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति केन्द्रित बनाया जाएगा और उसे एक संस्थागत स्वायत्ता मिलेगी. यह प्रमुख उभरते बाजारों में अप्रत्याशित होगी और कई विकसित देशों के मुकाबले बेहतर होगी.'
छोटे कारोबारियों को ऋण
छोटे और कुटीर उद्योगों को कर्ज मुहैया कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में मोदी ने कहा कि इस साल कुल 19 अरब डॉलर के 3.10 करोड़ कर्ज मंजूर किए गए हैं. 'आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि इनमें 77 प्रतिशत महिलाएं हैं और इनमें 22 प्रतिशत अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति से हैं.' उन्होंने कहा कि अगर इनमें प्रत्येक उद्यमी एक रोजगार का सृजन करता है तो इन पहलों से 3.10 करोड़ रोजगार सृजित हुए हैं. स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत भी ढाई लाख महिलाओं और अनुसूचित जाति एवं जनजाति को उद्यमिता ऋण उपलब्ध कराया जाएगा.